देश के लगभग सभी राज्यों में खाद खरीद में किसानों को अन्य प्रोडक्ट खरीदने के लिए मजबूर करने की खबरें सामने आ रही हैं. इसी बीच भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने महाराष्ट्र में खाद की गतल बिक्री को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, CCI ने डीलरों और किसानों को यूरिया के साथ अन्य सामान खरीदने के लिए मजबूर करने के आरोप में सरकारी कंपनी राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF) के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.
एक व्यक्ति द्वारा दायर शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, निष्पक्ष व्यापार नियामक ने कहा कि RCF का आचरण प्रतिस्पर्धा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है, जिसमें नियमों के दुरुपयोग और प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं.
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने महानिदेशक को मामले की जांच करने और 60 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. CCI ने स्पष्ट किया कि ये टिप्पणियां प्रारंभिक थीं और जांच के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगी.
शिकायत करने वाले व्यक्ति ने आरोप लगाया कि RCF जो एक प्रमुख खाद निर्माता है वो डीलरों और किसानों को यूरिया के साथ अन्य सामान जैसे गैर-सब्सिडी वाले उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर कर रहा था. सीसीआई ने कहा कि यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित और भारी सब्सिडी वाला है, जिससे यह किसानों के लिए एक आवश्यक कच्चा माल बन जाता है.
शिकायतकर्ता ने सरकारी विभागों और डीलर संघों के पत्र, मीडिया रिपोर्ट और जबरन बिक्री दिखाने वाली वीडियो रिकॉर्डिंग सहित सभी सबूत दिए. उन्होंने कहा कि इस प्रथा के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार कि ओर से द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद, पूरे महाराष्ट्र में किसानों की ओर से ये शिकायतें आती रहीं.
प्रतिस्पर्धा नियामक ने पाया कि 2023-24 में राज्य में यूरिया आपूर्ति में RCF की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत से अधिक थी, जो अन्य खाद कंपनियों से कहीं आगे हैं. वहीं, आयोग ने कहा कि RCF महाराष्ट्र में यूरिया की बिक्री और आपूर्ति के बाजार में प्रमुख कंपनी है.
अधिनियम की योजना के तहत, किसी प्रभावशाली संस्था द्वारा इस तरह का लाभ उठाने की निंदा की गई है क्योंकि यह बाजार में गलत प्रभाव डालता है. नियामक ने आगे कहा कि इस संदर्भ में, आयोग का प्रथम दृष्टया मानना है कि अधिनियम की धारा 4(2)(ई) का उल्लंघन हुआ है.