पंजाब सरकार द्वारा 12 कीटनाशकों (pesticide molecules) पर लगाए गए प्रतिबंध पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्थगन (stay) आदेश दे दिया है. यह फैसला 30 जुलाई 2025 को हुआ, जब क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (CCFI) ने सीनियर एडवोकेट और कानूनी टीम के साथ अदालत में अपना पक्ष रखा.
10 मई 2025 को पंजाब सरकार ने इनसेक्टिसाइड्स एक्ट, 1968 की धारा 27(1) के तहत एक अधिसूचना जारी की, जिसमें 11 कीटनाशकों (बाद में हेक्साकोनाजोल जोड़कर कुल 12) को 60 दिनों के लिए बासमती चावल की फसलों पर इस्तेमाल, बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी गई थी.
CCFI ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह अधिसूचना मनमानी और गैरकानूनी है. इसमें न तो कोई प्रयोगशाला रिपोर्ट, न ही वैज्ञानिक आंकड़े पेश किए गए जो यह दिखाएं कि किसी भी कीटनाशक से MRL (अधिकतम अवशिष्ट सीमा) का उल्लंघन हुआ है. इसके अलावा, यह भी बताया गया कि:
केंद्र सरकार ने 465वीं रजिस्टर्ड कमेटी की बैठक (दिनांक 10 जुलाई 2025) के मिनट्स कोर्ट में प्रस्तुत किए. इसमें कहा गया कि:
हाई कोर्ट ने CCFI की दलीलों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि: "पंजाब सरकार की कार्यवाही, विशेष रूप से केंद्र सरकार के स्पष्टीकरण के बाद, मनमानी और कानून के अधिकार क्षेत्र से बाहर है." इसके साथ ही, कोर्ट ने पंजाब सरकार की अधिसूचना पर स्थगन आदेश दे दिया. अब इस बैन को लागू नहीं किया जा सकेगा, जब तक अंतिम फैसला नहीं आ जाता.
अशिष कोठारी ने CCFI की ओर से कानूनी प्रतिनिधित्व किया. सुनिर्मला पथरावल भी पूरी सुनवाई में शामिल रहीं और उन्होंने किसानों व जनता को सरल हिंदी में जानकारी दी.
यह फैसला किसानों, कीटनाशक निर्माताओं, और एग्री-केमिकल इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी राहत है. इस बैन से खेती पर असर पड़ सकता था और उत्पादकता में गिरावट आ सकती थी. CCFI की यह कानूनी जीत दर्शाती है कि वैज्ञानिक डेटा और पारदर्शिता के बिना लिए गए निर्णयों को अदालत में चुनौती दी जा सकती है. किसानों की हित में लिए गए इस फैसले से यह भी स्पष्ट होता है कि कृषि क्षेत्र में मनमानी नीति नहीं चल सकती.