NSC: खेती के लिए बेस्ट है काले गाजर की ये वैरायटी, सस्ते में यहां मिलेंगे बीज

NSC: खेती के लिए बेस्ट है काले गाजर की ये वैरायटी, सस्ते में यहां मिलेंगे बीज

काले गाजर की खेती के लिए पूसा असिता वैरायटी सबसे अच्छी मानी जाती है. यह वैरायटी ऐसी है जो कम खर्च में ज्यादा उत्पादन देती है. इसे खेत या बगीचे में उगाना आसान है. ऐसे में अगर आप इस सर्दी किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो गाजर का बीज मंगवा सकते हैं.

काले गाजर की वैरायटीकाले गाजर की वैरायटी
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Oct 19, 2025,
  • Updated Oct 19, 2025, 11:12 AM IST

ठंड के दिनों में बाजारों में मिलने वाला रंग-बिरंगा गाजर एक बहुत ही लोकप्रिय सब्जी है. इस वक्त गाजर की डिमांड काफी बढ़ जाती है. इसकी मांग को देखते हुए खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. गाजर की बुवाई के लिए अक्टूबर का महीना सबसे बेहतर माना जाता है. भारत के लगभग सभी राज्यों में गाजर की खेती की जाती है. ऐसे में अगर आप इस सर्दी में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप गाजर की इस उन्नत किस्म की खेती कर सकते हैं. वहीं, आप नीचे दी गई जानकारी की सहायता से गाजर के बीज ऑनलाइन अपने घर पर भी मंगवा सकते हैं.

सस्ते में यहां से खरीदें बीज

गाजर की खेती के लिए पूसा असिता सबसे अच्छी मानी जाती है. यह वैरायटी ऐसी है जो कम खर्च में ज्यादा उत्पादन देती है. इसे खेत या बगीचे में उगाना आसान है. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन गाजर के बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर सकते हैं.

पूसा असिता की खासियत

पूसा असिता एक काले गाजर की किस्म है. ये गाजर की एक खास वैरायटी है. पूसा रुधिरा किस्म को आईएआरआई, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म अपने उच्च पोषक तत्वों, जैसे कैरोटीनॉयड और फिनोल, जो अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाने जाते हैं उनके लिए जानी जाती है. वहीं, इस किस्म की औसत उपज 20 टन प्रति हेक्टेयर है.

पूसा असिता की कीमत

अगर आप गाजर की खेती करना चाहते हैं तो पूसा असिता किस्म के 5 ग्राम के पैकेट का बीज फिलहाल 50 फीसदी छूट के साथ 25 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से गाजर की खेती कर सकते हैं. साथ ही इससे बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं.

कैसे करें खेत की तैयारी

गाजर की बुवाई करने से पहले खेत को समतल करें. फिर खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई करें. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाएं. इससे खेत की मिट्टी भूरभूरी हो जाती है और इसमें गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला सकते हैं. एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 4 से 6 किलो गाजर के बीज की आवश्यकता होती है. वहीं, बुवाई के 12 से 15 दिन बाद बीज अंकुरित हो जाते हैं. 

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