देश में सब्जियों की खेती में अब किसान परंपरागत तरीकों से हटकर नई फसलें भी अपनाने लगे हैं. इनमें से एक है ब्रोकली, जिसे 'ग्रीन कॉलीफ्लावर' भी कहा जाता है. इसकी मांग शहरों के साथ-साथ छोटे कस्बों में भी लगातार बढ़ रही है. पौष्टिकता और स्वास्थ्य के लिहाज से यह सब्जी बाजार में अच्छी कीमत देती है. साथ ही इसकी मांग शहरों, रेस्टोरेंट्स और होटलों में तेजी से बढ़ रही है. ब्रोकली की खासियत यह है कि यह कम क्षेत्र में भी किसानों को अच्छी आमदनी दिला सकती है. ऐसे में किसान इसे उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
हेल्दी लाइफस्टाइल और हेल्दी डाइट के लिए बढ़ती अवेयरनेस के चलते ब्रोकली की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है. इसमें विटामिन C, आयरन, कैल्शियम और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है. साथ ही इसे एक बेहतर इम्यूनिटी बूस्टर भी माना जाता है जो और कई बीमारियों से बचाव में कारगर साबित हो सकती है. यही कारण है कि एक सुपरमार्केट से लेकर पास की सब्जी मंडी में भी आपको यह आसानी से मिल जाएगी.
ब्रोकली की खेती में एक हेक्टेयर पर करीब 50,000–60,000 रुपये तक का निवेश आता है. इसमें बीज, खाद, मजदूरी, सिंचाई और अन्य खर्च शामिल हैं. औसतन बाजार में ब्रोकली का भाव 80–120 रुपये प्रति किलो रहता है. कभी-कभी यह 150 रुपये तक भी पहुंच जाता है. अगर किसान एक हेक्टेयर से 100 क्विंटल उत्पादन लेता है. औसतन 100 रुपये प्रति किलो भी दाम मिले, तो किसान की कुल आय करीब 10 लाख रुपये हो सकती है. इसमें से लागत निकालने के बाद शुद्ध मुनाफा लगभग 9–9.5 लाख रुपये तक पहुंच सकता है. इस तरह किसान आसानी से लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
ब्रोकली की खेती ठंडे मौसम में ज्यादा सफल रहती है. भारत में इसकी खेती के लिए सितंबर से नवंबर तक का समय सही माना जाता है. अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त रहती है. बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर गोबर की सड़ी हुई खाद डालनी चाहिए. पौधों की नर्सरी तैयार कर 25-30 दिन बाद खेत में रोपाई करना बेहतर होता है.
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