अब ड्रोन भी किराए पर ले सकेंगे किसान, कम खर्च और थोड़े समय में होंगे बड़े काम

अब ड्रोन भी किराए पर ले सकेंगे किसान, कम खर्च और थोड़े समय में होंगे बड़े काम

परंपरागत खेती में कीटनाशकों या उर्वरकों का छिड़काव (spray fertiliser) या तो हाथ से किया जाता है या ट्रैक्टर पर लगे स्प्रे से. इसमें पानी अधिक खर्च होता है और समय भी बर्बाद होता है. अगर यही काम ड्रोन से किया जाए तो हर तरह की बर्बादी रुकेगी. ड्रोन पूरी सटीकता के साथ कम पानी और कम खाद में काफी अच्छा छिड़काव करता है.

किसानों को किराये पर ड्रोन (drone on rent) देगी राजस्थान सरकारकिसानों को किराये पर ड्रोन (drone on rent) देगी राजस्थान सरकार
क‍िसान तक
  • JAIPUR,
  • Jan 23, 2023,
  • Updated Jan 23, 2023, 1:57 PM IST

खेती-किसानी में ड्रोन (drone) का काम तेजी से बढ़ रहा है. सरकार भी ड्रोन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रही है, खासकर कृषि में. चूंकि यह तकनीक अभी नई है और मंहगी है, इसलिए हर किसान के लिए इसकी सुविधा लेना आसान नहीं है. ऐसे में राजस्थान सरकार ने एक नई स्कीम निकाली है. यह स्कीम है ड्रोन को किराये (drone on rent) पर देने की. जो किसान ड्रोन पर लाखों रुपये का खर्च नहीं कर सकते, वे कुछ रुपये में ड्रोन किराये पर ले सकते हैं और खेती-बाड़ी के बड़े-बड़े काम निपटा सकते हैं. कम समय और कम खर्च में खाद छिड़काव (spray fertiliser) और फसलों की निगरानी का काम पूरा कर सकते हैं.

राजस्थान सरकार की प्लानिंग के मुताबिक, अगले दो साल में किसानों को किराये पर मुहैया कराने के लिए प्रदेश में 1500 ड्रोन लगाए जाएंगे. राजस्थान के प्रमुख सचिव, कृषि और बागवानी, दिनेश कुमार ने 'PTI' से कहा, खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. पूरी दुनिया के साथ-साथ राजस्थान में भी यह प्रचलन तेजी से आगे बढ़ रहा है. राजस्थान सरकार किसानों की आमदनी और उपज बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी को प्रमोट कर रही है.

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राजस्थान के प्रमुख सचिव दिनेश कुमार कहते हैं, राज्य के प्रगतिशील किसान खेती में ड्रोन का उपयोग शुरू कर चुके हैं. आने वाले समय में खेती-बाड़ी में ड्रोन की मांग (drone on rent) और उसके इस्तेमाल में बड़ी तेजी देखी जाएगी. इसे देखते हुए सरकार ने किसानों को किराये पर ड्रोन देने की योजना बनाई है. यह स्कीम वैसे किसानों को फायदा पहुंचाएगी जिनकी आमदनी कम या सीमित है और जो लोग ड्रोन का खर्च नहीं उठा सकते.

परंपरागत खेती में कीटनाशकों या उर्वरकों का छिड़काव (spray fertiliser) या तो हाथ से किया जाता है या ट्रैक्टर पर लगे स्प्रे से. इसमें पानी अधिक खर्च होता है और समय भी बर्बाद होता है. स्प्रे का कुछ हिस्सा फसलों पर न जाकर बाहर चला जाता है. अगर यही काम ड्रोन से किया जाए तो हर तरह की बर्बादी रुकेगी. ड्रोन पूरी सटीकता के साथ कम पानी और कम खाद में काफी अच्छा छिड़काव करता है.

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एक कृषि अधिकारी ने बताया कि ड्रोन (drone) की मदद से 70 से 80 परसेंट तक पानी बचाया जा सकता है. कृषि आयुक्त काना राम कहते हैं, ड्रोन के जरिये यह जाना जा सकता है कि फसल में किस पोषक तत्व की कमी है और उसी हिसाब से ड्रोन उस फसल पर उसका छिड़काव कर सकता है. ड्रोन की मदद से सिंचाई की मॉनिटरिंग, फसल सेहत की मॉनिटरिंग, पेस्ट एनालिसिस, फसलों के नुकसान का आकलन, टिड्डियों का नियंत्रण, खाद का स्प्रे जैसे काम किए जा सकते हैं.

पिछले हफ्ते ड्रोन (drone on rent) का काम देखने के लिए जोबनेर के जोशीवास गांव में एक डेमोंस्ट्रेशन किया गया. इसमें कृषि विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया. इसमें कृषि मंत्री लालचंद कटारिया भी शामिल हुए. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट शिवपाल सिंह राजावत कहते हैं कि फसलों की निगरानी, देखभाव और खाद का छिड़काव बहुत प्रमुख काम है. ड्रोन से यह काम कम समय और कम खर्च में किया जा सकता है. इस तरह आने वाले समय में ड्रोन का उपयोग (drone) धीरे-धीरे बढ़ेगा.

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