धान एक खरीफ फसल है, जो मॉनसून के मौसम में बोई जाती है. आमतौर पर धान की बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है, जब मॉनसून की बारिश शुरू होती है. हालाँकि, यह समय बोई गई किस्म और आपके क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है. कुछ क्षेत्रों में, मॉनसून जल्दी आने पर धान की बुवाई अप्रैल-मई में भी की जाती है. बुवाई का सही समय जानने के लिए अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या अनुभवी किसानों से सलाह लें सकते हैं. वहीं धान की खेती से अगर आप अधिक उत्पादन चाहते हैं तो तो इन आसान तकनीक को अपनाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. क्या है वो तकनीक आइए जानते हैं.
धान की इन किस्मों के लिए ऐसी जमीन चुनें जो सिंचाई वाली हो और मेढ़ बनी हो. गर्मियों में खेत की जुताई कर लें, इससे घास-पतवार और कीड़े खत्म हो जाते हैं. फिर मिट्टी को 2-3 बार जुताई करके पाटा लगाकर खेत समतल कर लें.
बीज किसी भरोसेमंद जगह से लें, जिससे अंकुरण 80% से ज्यादा हो और बीज शुद्ध हों. अच्छे, भरे और भारी दानों को चुनें. बीजों को 2% नमक घोल में डालें – जो बीज ऊपर तैरें वो हटा दें और नीचे डूबे बीजों को बोने के लिए रखें.
बुआई से पहले बीजों को एग्रोसन जीएन या बेविस्टीन दवा से 2 ग्राम प्रति किलो की दर से मिलाकर उपचार करें.
बीज सीड ड्रिल मशीन या रस्सी की सहायता से सीधी कतारों में बोएं. बुआई के बाद हल्का पानी दें और एक जगह पर सिर्फ 2-3 पौधे ही रहने दें. बाकी निकाल दें.
बोने से 3 हफ्ते पहले सड़ा हुआ गोबर या कम्पोस्ट 15–20 टन प्रति हेक्टेयर डालें.
उर्वरक का अनुपात (प्रति हेक्टेयर):
कब-कब डालें:
बुआई के 2-3 दिन बाद प्रेटीलाक्लोर (1 लीटर/हेक्टेयर) या साथी दवा (250 ग्राम/हेक्टेयर) पानी में मिलाकर छिड़कें. हाथ से घास-पतवार निकालना भी फायदेमंद होता है. 8-10 दिन बाद बिस्पायरीबैक सोडियम (30 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करें.
खेत और आसपास की सफाई रखें. झोंका रोग के लिए ट्राईसाइक्लाजोल दवा 0.6 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें.
मिट्टी में नमी हो तभी पानी दें. जब खेत में हल्की दरार दिखे या फूल निकलें तो हर 3-4 दिन पर हल्की सिंचाई करें. खासकर कल्ले निकलने, गाभा बनने और दाने भरने के समय पानी का खास ध्यान रखें.
फसल फूल आने के 25-30 दिन बाद काटें. काटने के तुरंत बाद मड़ाई करें और अनाज को छांव में धीरे-धीरे सुखाएं. अनाज में नमी 12% से कम होनी चाहिए तभी भंडारण करें.