Paddy Farming: धान की खेती से अधिक उत्पादन के लिए अपनाएं ये तकनीक, नहीं होगा नुकसान

Paddy Farming: धान की खेती से अधिक उत्पादन के लिए अपनाएं ये तकनीक, नहीं होगा नुकसान

अधिक उपज और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए गोबर की खाद, कम्पोस्ट या हरी खाद का प्रयोग करना चाहिए. उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए. धान की बौनी किस्मों के लिए 100-130 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 50 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें.

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प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jul 28, 2025,
  • Updated Jul 28, 2025, 12:31 PM IST

धान एक खरीफ फसल है, जो मॉनसून के मौसम में बोई जाती है. आमतौर पर धान की बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है, जब मॉनसून की बारिश शुरू होती है. हालाँकि, यह समय बोई गई किस्म और आपके क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है. कुछ क्षेत्रों में, मॉनसून जल्दी आने पर धान की बुवाई अप्रैल-मई में भी की जाती है. बुवाई का सही समय जानने के लिए अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या अनुभवी किसानों से सलाह लें सकते हैं. वहीं धान की खेती से अगर आप अधिक उत्पादन चाहते हैं तो तो इन आसान तकनीक को अपनाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. क्या है वो तकनीक आइए जानते हैं. 

जमीन का चुनाव

धान की इन किस्मों के लिए ऐसी जमीन चुनें जो सिंचाई वाली हो और मेढ़ बनी हो. गर्मियों में खेत की जुताई कर लें, इससे घास-पतवार और कीड़े खत्म हो जाते हैं. फिर मिट्टी को 2-3 बार जुताई करके पाटा लगाकर खेत समतल कर लें.

बीज का चुनाव

बीज किसी भरोसेमंद जगह से लें, जिससे अंकुरण 80% से ज्यादा हो और बीज शुद्ध हों. अच्छे, भरे और भारी दानों को चुनें. बीजों को 2% नमक घोल में डालें – जो बीज ऊपर तैरें वो हटा दें और नीचे डूबे बीजों को बोने के लिए रखें.

बीज का उपचार

बुआई से पहले बीजों को एग्रोसन जीएन या बेविस्टीन दवा से 2 ग्राम प्रति किलो की दर से मिलाकर उपचार करें.

बुआई का समय

  • बुआई जून के पहले या दूसरे हफ्ते में करें, जब मिट्टी में थोड़ी नमी हो.
  • बीज की मात्रा और तरीका
  • बीज की मात्रा: 50–60 किलो प्रति हेक्टेयर
  • कतार से कतार: 20 सेमी
  • पौधे से पौधे: 15 सेमी

बीज सीड ड्रिल मशीन या रस्सी की सहायता से सीधी कतारों में बोएं. बुआई के बाद हल्का पानी दें और एक जगह पर सिर्फ 2-3 पौधे ही रहने दें. बाकी निकाल दें.

खाद और उर्वरक का उपयोग

बोने से 3 हफ्ते पहले सड़ा हुआ गोबर या कम्पोस्ट 15–20 टन प्रति हेक्टेयर डालें.
उर्वरक का अनुपात (प्रति हेक्टेयर):

  • नत्रजन: 80 किलो
  • फास्फोरस: 40 किलो
  • पोटाश: 40 किलो

कब-कब डालें:

  • 10-12 दिन बाद: 24 किलो यूरिया
  • 30-35 दिन बाद: 32 किलो यूरिया
  • 50-55 दिन बाद: 24 किलो यूरिया

खर-पतवार नियंत्रण

बुआई के 2-3 दिन बाद प्रेटीलाक्लोर (1 लीटर/हेक्टेयर) या साथी दवा (250 ग्राम/हेक्टेयर) पानी में मिलाकर छिड़कें. हाथ से घास-पतवार निकालना भी फायदेमंद होता है. 8-10 दिन बाद बिस्पायरीबैक सोडियम (30 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करें.

कीट और रोग नियंत्रण

खेत और आसपास की सफाई रखें. झोंका रोग के लिए ट्राईसाइक्लाजोल दवा 0.6 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें.

सिंचाई प्रबंधन

मिट्टी में नमी हो तभी पानी दें. जब खेत में हल्की दरार दिखे या फूल निकलें तो हर 3-4 दिन पर हल्की सिंचाई करें. खासकर कल्ले निकलने, गाभा बनने और दाने भरने के समय पानी का खास ध्यान रखें.

कटाई, सुखाई और भंडारण

फसल फूल आने के 25-30 दिन बाद काटें. काटने के तुरंत बाद मड़ाई करें और अनाज को छांव में धीरे-धीरे सुखाएं. अनाज में नमी 12% से कम होनी चाहिए तभी भंडारण करें.

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