तिलहन फसलों में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले सरसों का इस बार रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है. सरकार का अनुमान अब तक जारी नहीं हुआ है लेकिन, खाद्य तेलों से जुड़े कारोबारी संगठन इसके गुणाभाग में जुट गए हैं. दरअसल, भारत में पहली बार सरसों की बुवाई लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर पहुंचने वाली है. जबकि यहां बुवाई का औसत सात मिलियन हेक्टेयर का रहता था. ऐसे में सरसों के बंपर प्रोडक्शन की भी उम्मीद है. अब तक सभी जगहों से अच्छी फसल की खबर आ रही है. कहीं किसी बड़े नुकसान या पेस्ट अटैक की खबर नहीं है. फिलहाल, अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ ने 130 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान लगाया है.
महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने 'किसान तक' से कहा कि पहले हमने 125 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान लगाया था. लेकिन, अब इसे पांच लाख टन बढ़ा दिया है, क्योंकि बुवाई का रकबा बढ़ गया है और सभी जगहों से अच्छी फसल की सूचना है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम हो जाएगा. ठक्कर का कहना है कि अब तक की अंतरराष्ट्रीय स्थितियों के मुताबिक यही कह सकते हैं कि बंपर प्रोडक्शन के बावजूद इसका भाव एमएसपी से कम नहीं होगा.
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ब्लेंडिंग बंद होने और सरसों के प्रति रुझान की वजह से इसके भाव में तेजी बनी रह सकती है. किसानों को इस साल भी अच्छा भाव मिलेगा तो अगले साल वो अपनी खेती का और विस्तार करेंगे. यह देश के लिए फायदे वाला होगा क्योंकि खाद्य तेलों के मामले में अब इंपोर्ट पर निर्भर हैं. लेकिन अगर इस साल रेट कम मिला तो अगली बार फिर इसकी खेती का रकबा कम हो सकता है. सोयाबीन के बाद सरसों दूसरी सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसल है. खाद्य तेलों में इसका योगदान लगभग 28 परसेंट है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 20 जनवरी तक देश में 97.10 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हो चुकी है. अभी फाइनल रिपोर्ट आनी है, जिसमें कुछ और क्षेत्र जुड़ा मिलेगा. राजस्थान और मध्य प्रदेश में सरसों की बुवाई सबसे ज्यादा बढ़ी है. सरकार देश में सरसों का सामान्य एरिया 63.46 लाख हेक्टेयर मानती है. जबकि पिछले तीन वर्ष से इसका रकबा काफी बढ़ गया है. फिलहाल, किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि विशेषज्ञों का यही अनुमान है कि दाम एमएसपी से कम नहीं होगा.
रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए सरसों का एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. मोदी सरकार ने अक्टूबर 2022 में इसकी एमएसपी 400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दी थी. सरकार का मानना है कि सरसों उत्पादन पर किसानों को प्रति क्विंटल औसतन 2670 रुपये खर्च करना पड़ता है. इस पर 104 फीसदी की वृद्धि करके सरकार ने नया एमएसपी तय किया है. रबी फसलों में यह सबसे अधिक वृद्धि है. ओपन मार्केट में अभी 6000 रुपये तक का भाव चल रहा है.
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केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2008-09 में सिर्फ 72.01 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था, जो 2017-18 में 84.30 लाख टन हो गया. यानी नौ साल में 12.29 लाख टन की वृद्धि हुई. क्योंकि, तब एमएसपी से बहुत कम दाम मिलता था. साल जब 2018-19 में 92.56 लाख टन उत्पादन हुआ. इसके बाद सरसों का थोड़ा अच्छा दाम मिलना शुरू हो गया और 2020-21 में उत्पादन 102.10 लाख टन हो गया. उस साल एमएसपी से 50 फीसदी अधिक दाम पर ओपन मार्केट में सरसों बिका. फिर 2021-22 में यह बढ़कर 117.46 लाख टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया.
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