scorecardresearch
मौसम की तगड़ी मार, पंजाब में 13 फीसद तक घट जाएगी कपास और मक्के की पैदावार

मौसम की तगड़ी मार, पंजाब में 13 फीसद तक घट जाएगी कपास और मक्के की पैदावार

रिसर्च में पता चला है कि तापमान में बदलाव की वजह से हर तरह की फसलों के तापमान में बदलाव देखा जा रहा है. रिसर्च बताती है कि न्यूनतम तापमान में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. तापमान में बढ़ोतरी का असर कई फसलों पर देखा जा रहा है, जैसे चावल, मक्का (maize farming) और कपास (cotton farming) प्रमुख हैं.

advertisement
पंजाब में मक्के की पैदावार (maize production) पर जलवायु परिवर्तन की मार पंजाब में मक्के की पैदावार (maize production) पर जलवायु परिवर्तन की मार

जलवायु परिवर्तन (climate change) की समस्या गंभीर होती जा रही है. इंसानों पर होने वाले असर से कहीं ज्यादा इसका प्रभाव खेती-किसानी पर दिखने लगा है. बेमौमस बारिश इसी का नतीजा है. बिना मौसम के बारिश ने अच्छी-खासी फसलों को बर्बाद करना शुरू कर दिया है. कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ भी इसी जलवायु परिवर्तन का नतीजा है. एक ताजा स्टडी बताती है कि जलवायु परिवर्तन या मौसमी मार के चलते पंजाब में कपास (cotton production) और मक्के (maize production) की पैदावार 11 से 13 फीसद तक कम हो जाएगी.

पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के कृषि अर्थशास्त्री और वैज्ञानिकों की एक स्टडी बताती है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पंजाब में 2050 तक मक्का और कपास की पैदावार 11 से 13 परसेंट तक घट सकती है. पूरे देश का हिसाब लगाएं तो अकेला पंजाब में 12 फीसद अनाजों का उत्पादन होता है.

इस नई स्टडी को भारतीय मौसम विभाग की पत्रिका मौसम में छापा गया है. इस स्टडी में 1986 और 2020 के बीच पंजाब में बारिश और तापमान का ट्रेंड देखा गया है और उसी आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है. बारिश और तापमान के आधार पर पंजाब में जलवायु परिवर्तन (climate change) का हिसाब लगाया गया है. रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन का असर पंजाब की पांच प्रमुख फसलों-चावल, मक्का, कपास, गेहूं और आलू पर देखा गया है.

ये भी पढ़ें: इन 5 राज्यों में तीन द‍िन झमाझम बार‍िश का अनुमान, जानें आपके यहां कैसा रहेगा मौसम

स्टडी लिखने वाले वैज्ञानिकों ने मौसम का आंकड़ा जुटाया है जिसमें लुधियाना, पटियाला, फरीदकोट, बठिंडा और एसबीएस नगर के मौसम का हाल देखा गया है. रिसर्च में लगे वैज्ञानिकों ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन के पीछे असली जिम्मेदार तापमान में बदलाव है. इसकी तुलना में बारिश के पैटर्न में कम बदलाव देखा जा रहा है. रिसर्च का लब्बोलुआब है कि जलवायु परिवर्तन (climate change) के चलते तापमान तेजी से बढ़ा है. हालांकि बारिश के पैटर्न में भी अच्छा-खासा बदलाव आया है.

रिसर्च में पता चला है कि तापमान में बदलाव की वजह से हर तरह की फसलों के तापमान में बदलाव देखा जा रहा है. रिसर्च बताती है कि न्यूनतम तापमान में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. तापमान में बढ़ोतरी का असर कई फसलों पर देखा जा रहा है, जैसे चावल, मक्का (maize farming) और कपास (cotton farming) प्रमुख हैं. दूसरी ओर, न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी का फायदा आलू और गेहूं जैसी फसलों को मिल रहा है.

स्टडी में लिखा गया है कि जलवायु परिवर्तन का असर रबी और खरीफ फसलों पर अलग-अलग देखा जा रहा है. खरीफ की जहां तक बात है तो उसमें मक्का सबसे अधिक संवेधनशील फसल है जिस पर तापमान और बारिश में उतार-चढ़ाव का गंभीर असर देखा जाता है. इसकी तुलना में चावल और कपास पर असर कम होता है. स्टडी के मुताबिक, 2050 तक पंजाब में मक्का की उपज 13 परसेंट और कपास की उपज 11 परसेंट तक घट सकती है. इसी तरह पंजाब में एक फीसद धान की पैदावार भी घट जाएगी.

ये भी पढ़ें: Red Banana Farming: लाल केला देखा है आपने, 50 रुपये किलो है इसकी कीमत

जलवायु परिवर्तन (climate change) का सबसे खतरनाक असर 2080 से दिखना शुरू होगा. मक्के की पैदावार 13 से 24 परसेंट, कपास की पैदावार 11 से 24 परसेंट और चावल की उपज एक से 2 परसेंट तक गिर सकती है. अच्छी बात ये है कि इसी दौरान गेहूं और आलू की पैदावार पर कोई असर नहीं दिखेगा और 2050 तक बराबर बना रहेगा. 2080 आते-आते इन दिनों फसलों की पैदावार में एक परसेंट तक बढ़ोतरी देखी जाएगी. स्टडी में लिखा गया है कि मौसमी मार से बचने के लिए किसानों को क्लाइमेट-स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल करते हुए फसलों का चयन करना चाहिए और उसी हिसाब से खेती करनी चाहिए.