धान की रोपाई के बाद नहीं रखा इन बातों का ध्यान तो बर्बाद हो जाएगी फसल! बचाव का तरीका जान लें

धान की रोपाई के बाद नहीं रखा इन बातों का ध्यान तो बर्बाद हो जाएगी फसल! बचाव का तरीका जान लें

धान की रोपाई के कुछ दिनों बाद फसलों में लगने वाला रोग है जड़ गलन जो धान की फसल को ज्यादा प्रभावित करता है. इस बीमारी की चपेट में आने से पौधे की जड़ें गल जाती है और पौधा सूख जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है जल गलन रोग के लगने का कारण, लक्षण और कैसे करें बचाव.

धान में लगने वाले रोगधान में लगने वाले रोग
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Jul 28, 2025,
  • Updated Jul 28, 2025, 1:56 PM IST

देश के लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई पूरी हो चुकी है. वहीं, धान की रोपाई किए लगभग आधा माह भी बीत चुका है. लेकिन अब कम बारिश, गर्मी, उमस और बदलते मौसम के बीच धान की फसल में रोग और कीट लगने का खतरा बढ़ने लगा है. ऐसे में किसान इसकी बचाव के लिए किसान तैयारी में जूट गए हैं, जिससे उनकी फसल पैदावार प्रभावित न हो. दरअसल, धान की रोपाई के कुछ दिनों बाद फसलों में लगने वाला रोग है जड़ गलन जो धान की फसल को ज्यादा प्रभावित करता है. इस बीमारी की चपेट में आने से पौधे की जड़ें गल जाती है और पौधा सूख जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है जड़ गलन रोग के लगने का कारण, लक्षण और कैसे करें बचाव.

जल गलन रोग लगने का क्या है लक्षण?

धान की फसल में लगने वाला जड़ गलन रोग किसानों के लिए एक गंभीर समस्या है, जो धान की फसल में आमतौर पर रोपाई के 20 से 30 दिनों के बाद दिखाई देने लगता है. ये समय पौधों की जड़ों के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होता है. ऐसे में अगर जल निकासी, मिट्टी का स्वास्थ्य, या मौसम संबंधी स्थितियां अनुकूल नहीं हैं तो जड़ गलन रोग तेजी से फैल सकता है. इसलिए रोपाई के लगभग 20 दिनों बाद पौधों की नियमित रूप से निगरानी करना चाहिए, ताकि किसी भी समस्या का जल्द से जल्द पता चल सके और उसका बचाव किया जा सके.

जड़ गलन रोग का क्या है कारण?

खेत में अधिक नमी: अधिक बारिश से खेत में जल जमाव होने पर जड़ें सूखने लगती हैं, जिससे जड़ गलन रोग काफी तेजी से फैलता है.
खराब जल निकासी: यदि धान की खेत में पानी की निकासी सही ढंग से नहीं होती है ,तो जड़ों में सड़न होने लगती है और फसल नष्ट हो जाते हैं.
खराब मिट्टी: मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी या असंतुलन होने पर पौधों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे उसमें जड़ गलन रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है.
अधिक सिंचाई: कई बार किसान धान की खेत में जरूरत से ज्यादा सिंचाई कर देते हैं, जिससे जड़ गलन रोग का खतरा बढ़ जाता है.
गर्म और नम मौसम: गर्म और उमस भरे मौसम भी धान की फसल पर जड़ गलन रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है.

जड़ गलन रोग से कैसे करें बचाव?

यदि आपकी धान की फसल में जल गलन रोग का खतरा दिख रहा है तो खेत में जल जमाव न होने दें. इसके अलावा जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें ताकि पानी अधिक मात्रा में खेत में न रुके. साथ ही बीज को फफूंदनाशक दवाओं से उपचारित करें. इससे बीज में मौजूद रोग के बीजाणु नष्ट हो जाते हैं. एक ही खेत में बार-बार धान की फसल लगाने से बचें. वहीं, रासायनिक उर्वरकों का कम इस्तेमाल करें. इसकी जगह जैविक खाद का उपयोग करें.जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे. अधिक या कम सिंचाई से बचें. पौधों की जरूरत के अनुसार ही पानी दें. आवश्यकता पड़ने पर कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर कीटनाशकों का उपयोग करें.इन सभी उपायों को अपनाकर फसल को जड़ गलन रोग से बचाया जा सकता है.

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