खेती में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन अब भी ज्यादातर किसान इससे अनजान हैं. जो जानते हैं वो इसके ज्यादा दाम की वजह से ले नहीं सकते. ऐसे में सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए खरीद पर भारी छूट दे रही है. पारंपरिक यूरिया और डीएपी के साथ-साथ अब नैनो यूरिया और डीएपी लिक्विड की भी बिक्री हो रही है. ऐसे में अब देश में बड़े पैमाने पर ड्रोन की जरूरत होगी. क्योंकि कीटनाशकों की तरह अब फसलों पर खाद का भी स्प्रे करना होगा. इससे किसानों को बड़ा फायदा यह है कि वो स्प्रे के समय खाद और कीटनाशकों के मानव शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव से बच जाएंगे. लेकिन, इसका दाम बहुत ज्यादा है. इस समय 10 लीटर टैंक क्षमता के कृषि ड्रोन का दाम 6 से 10 लाख रुपये तक है. ऐसे में सरकार ने सब्सिडी देकर इस तकनीक को हर खेत तक पहुंचाने का प्लान बनाया है.
एग्रीकल्चर ड्रोन के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलने का दावा किया जा रहा है. क्योंकि हर ड्रोन के लिए ट्रेंड पायलट चाहिए. कोई भी इसे नहीं चला सकता. क्योंकि इसके तकनीकी पहलुओं और उड़ाने के नियमों को जानना जरूरी है. इसलिए कई राज्यों में पायलट ट्रेनिंग हो रही है. एग्री ड्रोन किराए पर लेने पर प्रति एकड़ 500 से 800 रुपये तक की लागत आ जाती है. लेकिन इससे स्प्रे करने पर पेस्टीसाइड किसान या कृषि श्रमिक के ऊपर नहीं आता और समय की बहुत बचत भी होती है. खाद बनाने वाली कंपनी इफको ने हाल ही में 2500 ड्रोन खरीदने का ऑर्डर दिया है, ताकि किराये पर देकर नैनो यूरिया और डीएपी का स्प्रे करने में किसानों की मदद की जा सके.
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एग्री ड्रोन किसानों का काम आसान करेगा. क्योंकि इसके माध्यम से फसलों पर कीटनाशकों और उर्वरकों का स्प्रे काफी आसान कर दिया गया है. ड्रोन कारोबार करने वाली कंपनियों की ओर से दावा किया जा रहा है कि पहले ढाई घंटे में एक एकड़ में स्प्रे होता था वहीं अब यह काम मात्र 7 मिनट में संभव हो गया है.
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