जब तिलहन फसलों की बात आती है तो सबसे पहले हम सरसों और सोयाबीन का जिक्र करते हैं. लेकिन मूंगफली भी कोई कम नहीं है. यह खाने की दृष्टि से भी फायदेमंद है और खेती की दृष्टि से भी. भारत पहले से ही तिलहन फसलों में काफी पिछड़ा हुआ है. इसीलिए हम खाद्य तेलों की अपनी जरूरत आयात से पूरी करते हैं. भारत में मूंगफली का दाम 8000 रुपये प्रति क्विंटल तक है. जबकि एमएसपी 6377 रुपये है. इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है. इसका दाम 100 रुपये किलो तक पहुंच जाता है. भारत में लगभग 45.04 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की खेती होती है. पोषण की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण फसल है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 100 ग्राम मूंगफली से लगभग 567 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है. यह तिलहन फसल प्रोटीन का अच्छा स्रोत है.
कृषि वैज्ञानिक बनवारीलाल जाट, रामजीलाल मीना और सुनिता कुमारी ने अपने एक पेपर में मूंगफली को लेकर विस्तार से जानकारी दी है. इसमें बताया गया है कि इसकी खेती के लिए अर्ध शुष्क और नम जलवायु की जरूरत होती है. अच्छी पैदावार के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान सही होता है. मूंगफली की खेती तेज हवा और बारिश द्वारा जमीन को कटने से बचाती है. मूंगफली के दाने में 22-28 प्रतिशत प्रोटीन, 10-12 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 48-50 प्रतिशत फैट पाया जाता है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मूंगफली का पौधा 30-50 सेमी (1.0 से 1.6 फुट) की ऊंचाई तक बढ़ता है. इसकी पत्तियां विपरीत दिशा में होती हैं. इसको अर्थनट्स, ग्राउंडनट्स, गूबरपीस, मंकीनट्स, पिगमी नट्स और पिग नट्स आदि कई स्थानीय नामों से जाना जाता है. अपने नाम और आकार के बावजूद, मूंगफली, मेवे की श्रेणी में नहीं बल्कि फली की श्रेणी में आती है. हालांकि देश के कई क्षेत्रों के लोग इसे गरीबों का बादाम कहकर भी पुकारते हैं. सर्दी के दिनों में इसकी खूब बिक्री होती है.
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भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक देश है. भारत में मूंगफली प्रमुख तेल बीज फसल है. यह देश में वनस्पति तेल की कमी को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाती है. देश में मार्च और अक्टूबर में दो फसलचक्र होने के कारण मूंगफली पूरे वर्ष उपलब्ध होती है. यह महत्वपूर्ण प्रोटीन फसल भी है, जो अधिकतर वर्षा सिंचित क्षेत्रों के तहत उगाई जाती है. मूंगफली के प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तर प्रदेश हैं.
मूंगफली की कई लोकप्रिय किस्में हैं. जिनमें से हम दो की जानकारी दे रहे हैं. यह नई किस्में हैं. जिन्हें पुरानी के मुकाबले ज्यादा अच्छा बताया जा रहा है. पहली किस्म है गिरनार-4, जिसमें 45-52 फीसदी की तुलना में ओलिक एसिड (तेल में 78.5 फीसदी) है. ऐसा दावा किया जाता है कि ओलिक एसिड कोलेस्ट्रॉल को कम करके और सूजन को कम करके हृदय की स्थिति में सुधार कर सकता है.
इसमें तेल 53 फीसदी और प्रोटीन 27 फीसदी है. इस किस्म की उपज प्रति हेक्टेयर 32.2 क्विंटल है. यह 112 दिन में तैयार हो जाती है. राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में खरीफ मौसम के लिए यह वैराइटी उपयुक्त मानी गई है. गिरनार-5 भी इससे मिलती-जुलती हुई है. इसके तेल में ओलिक एसिड की मात्रा 78.4 फीसदी है.
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