मुआवजा मिलने में नहीं होगी देरी, सेटेलाइट के इस्तेमाल से आसान होगा पूरा काम, पढ़ें पूरी बात

मुआवजा मिलने में नहीं होगी देरी, सेटेलाइट के इस्तेमाल से आसान होगा पूरा काम, पढ़ें पूरी बात

खेती-बाड़ी में आजकल तकनीकी का इस्तेमाल खूब हो रहा है, लेकिन किसानों की फसल खराब होने पर आज भी मुआवजे के लिए संघर्ष करते देखा जा सकता है. इसीलिए अब सरकार खराबे के लिए सेटेलाइट का उपयोग करने की बात कहने लगी हैं. इस क्षेत्र में कई निजी कंपनी भी आने लगी है. ऐसी ही एक कंपनी से किसान तक ने बात की. पढ़िए यह रिपोर्ट.

फसल खराबे में यदि सेटेलाइट का इस्तेमाल बढ़े तो किसानों को जल्द मिल सकता है मुआवजा. फोटो- Madhav Sharmaफसल खराबे में यदि सेटेलाइट का इस्तेमाल बढ़े तो किसानों को जल्द मिल सकता है मुआवजा. फोटो- Madhav Sharma
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Apr 11, 2023,
  • Updated Apr 11, 2023, 2:17 PM IST

बीते तीन महीने किसानी के लिए बहुत भारी रहे. जनवरी महीने में पाला पड़ने से किसानों की फसलें खराब हुईं तो फरवरी में सामान्य से अधिक तापमान ने किसानों के माथे पर पसीना ला दिया. किसान इस परेशानी से उबरने लगे थे कि मार्च के महीने में कई बार की बारिश, आंधी और ओलावृष्टि ने फसलों को चौपट कर दिया. फसल खराब होने के बाद अब किसान मुआवजे के लिए भटक रहा है. लेकिन अब सरकारें सेटेलाइट से फसल खराबे की गणना करने की बात करने लगी है. पीएम फसल बीमा योजना में भी बीमा कंपनियां सेटेलाइट से खराबे के बारे में सूचना इकठ्ठा करने की बात कहती रही हैं.

हेक्सागन नाम की एक कंपनी भी इसी क्षेत्र में काम कर रही है. ये कंपनी सरकारों को सेटेलाइट बेस्ड तस्वीरें उपलब्ध कराती है. इससे खराबे का सही-सही आकलन करने में मदद मिलती है. 

इस तरह काम करता है सेटेलाइट 

हेक्सागन नाम की यह कंपनी खेती में सेटेलाइट बेस्ड मॉनिटरिंग सॉल्यूशन देती है. सेटेलाइट हर सात-सात दिन में खेतों की फोटोग्राफ भेजता रहता है. कंपनी में सेल्स एक्जीक्यूटिव सुमित किसान तक को बताते हैं कि इन फोटोग्राफ की मदद से बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों को फील्ड पर बार-बार जाने की जरूरत नहीं रहती. सेटेलाइट से मिली जानकारी से वे खेतों में हुए खराबे का आकलन कर सकते हैं. चूंकि बीमा कंपनियां लगातार मॉनिटरिंग करती रहती हैं, इसीलिए तस्वीरों के आधार पर वे पहले और खराबे के बाद वाली स्थिति का आकलन करते हैं.

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समय की बचत के साथ-साथ खराबे के आकलन जल्दी होता है. इससे किसानों को मुआवजा भी जल्दी मिल सकता है.” सुमित जोड़ते हैं, “ फिलहाल इस सर्विस का इस्तेमाल बहुत कम स्तर पर किया जा रहा है. लेकिन धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ेगा और राज्य सरकारें भी खेती में सेटेलाइट का इस्तेमाल करने लगेंगी.”

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जमीन समतल करने की मशीनें उपलब्ध कराती है कंपनी

कंपनी से सेल्स एक्जीक्यूटिव सुमित बताते हैं, “खेती में लैंड लेवलिंग बेहद जरूरी चीज है. अगर खेतों की जमीन समतल होगी तो फसल भी अच्छी पैदा होगी. साथ ही सिंचाई भी अच्छी तरह से हो सकेगी. अगर सिंचाई अच्छी होगी तो खेत में पैदावार भी बेहतर होगी. इसीलिए हम लैंड लेवलिंग मशीनें उपलब्ध कराते हैं. क्योंकि आज भी देश में लाखों किसान हाथों से खेतों को तैयार करते हैं. इससे खेत कहीं ऊंचे तो कहीं नीचे रह जाते हैं. इसके कारण सिंचाई नहीं हो पाती है और फसल का उत्पादन कम हो जाता है.”
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