यूपी में लगभग डेढ़ दर्जन जिलों में आलू की व्यापक पैमाने पर खेती होती है. इन जिलों में आलू का भंडारण नहीं हो पाने के कारण किसान खासी परेशानी का सामना कर रहे हैं. इस बीच सरकार ने प्रदेश के समस्त आलू क्लस्टरों में मौजूद कोल्ड स्टोरेज में जगह के अभाव की बात से इंकार करते हुए किसानों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन जारी की है. इतना ही नहीं, सरकार ने कहा है कि किसानों की परेशानी दूर करने में 'ऑपरेशन ग्रीन योजना' मददगार साबित हो सकती है. इस योजना के तहत किसान, सरकारी अनुदान पर भंडारण सुविधा का लाभ उठा कर अपने घाटे की भरपाई कर सकते हैं. आइए जानते हैा कि यूपी सरकार ने क्या है, ऑपरेशन ग्रीन योजना क्या है और कैसे आलू किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.
यूपी सरकार के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने दावा किया है कि आलू भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज में जगह की कमी नहीं है. विभाग के निदेशक डॉ आरके तोमर ने कहा है कि प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में आलू की पर्याप्त भंडारण क्षमता उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि कोल्ड स्टोरेज में स्थान उपलब्ध रहते हुए अगर किसी कोल्ड स्टोर का मालिक भंडारण के लिए किसान को आलू रखने से मना करता है तो किसान मोबाइल नम्बर 08707008719 पर सूचित कर उसकी शिकायत कर सकते हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी.
इस दौरान तोमर ने इस साल के लिए आलू भंडारण के किराए की दरें भी घोषित की.उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में आलू भंडारण हेतु सामान्य आलू का किराया 230 रुपये प्रति कुंतल और शुगर फ्री आलू का किराया 260 रुपये प्रति कुंतल है.
भारत सरकार द्वारा यूपी के चिन्हित आलू क्लस्टर्स जिलों में आगरा, कन्नौज, फिरोजाबाद, हाथरस, फर्रुखाबाद, अलीगढ़, इटावा, मैनपुरी, प्रयागराज, शाहजहांपुर, बदायूं, बाराबंकी, हरदोई, कानपुर नगर, मथुरा, जौनपुर एवं संभल शामिल हैं. इन जिलों में आलू के परिवहन एवं भण्डारण को प्रोत्साहित करने हेतु ऑपरेशन ग्रीन योजना संचालित की गयी है.
इस योजना में फल एवं सब्जियों के लिए चिन्हित क्लस्टर जिलों में किसानों को उपज का उचित दाम दिलाने और भंडारण एवं परिवहन सुविधाओं को आसान बनाने के प्रावधान किए गए हैं. इस योजना के दिशा निर्देशों में कहा गया है कि जरूरत से ज्यादा उपज (सरप्लस प्रोडक्शन) वाले क्लस्टर में उस फल या सब्जी का मूल्य कम होने पर किसानों को कुछ छूट दी जाएगी.
इसके तहत उपज की कीमत गत तीन वर्षों के औसत बाजार मूल्य से कम होने या उपज का मौजूदा भाव, गत वर्ष के बाजार मूल्य से 15 प्रतिशत कम होने या केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा विशेष समय के लिए निर्धारित बेंचमार्क मूल्य से कम होने की स्थिति में, खेत से बाजार तक परिवहन की सुविधा पर 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी. इसके अलावा जरूरत से ज्यादा उपज होने पर सरप्लस फल या सब्जी को शीतगृह या अन्य किसी वेयर हाउस में भंडारित करने पर 50 प्रतिशत का अनुदान देने की व्यवस्था है.
इस योजना का लाभ सामान्य किसानों के अलावा किसानों के समूह, एफपीओ, सहकारी समितियां, राज्य विपणन एवं सहकारी संघ, खाद्य प्रसंस्करण करने वाले उद्यमी, लाइसेंस धारक कमीशन एजेंट, निर्यातक एवं थोक विक्रेता उठा सकते हैं.
डॉ. तोमर ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत आवेदक को अपनी उपज की परिवहन एवं भंडारण की रसीद में अंकित तिथि से 03 माह के अन्दर अनुदान के लिए आवेदन करना होगा. यह आवेदन केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के पोर्टल ( https://www.sampada-mofpi.gov.in/Login.aspx ) पर जरूरी दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इसी पोर्टल पर इस योजना के विस्तृत दिशा निर्देश भी उपलब्ध हैं.
एक तरफ सरकार का दावा है कि कोल्ड स्टोरेज में जगह की कमी नहीं है, वहीं विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. आलू क्लस्टर इटावा में किसानों की समस्या को सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने प्रमुखता से उठाया है.
उन्होंने 'किसान तक' को बताया कि आलू किसानों की उपज कोल्ड स्टोरेज में नहीं पहुंच पाने से किसान संकट में है. उन्होंने कहा कि इस समस्या का तात्कालिक समाधान यही है कि सरकार आलू की खरीद शुरू कर दे. कोल्ड स्टोरेज में जगह की कमी नहीं होने के सरकार के दावे को गलत बताते हुए यादव ने कहा कि उम्मीद से ज्यादा उपज होने के कारण कोल्ड स्टोरेज में जगह नहीं है. अन्यथा कोल्ड स्टोर के बाहर किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ 3-4 दिनों तक लाइन लगा कर खड़े न होते.
उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से भी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, ''आलू खरीद लो सरकार! अन्नदाता कब तक रहेगा कतार में, अच्छे दिन के इंतजार में! आलू किसान कब तक रहेगा बेहाल ?''
गौरतलब है कि इस साल आलू की उपज उम्मीद से ज्यादा होने के कारण किसानों को कोल्ड स्टोर में आलू रखने की जगह नहीं मिल रही है. यूपी में आलू के कोल्ड स्टोरेज के आसपास किसानों की उपज से लदे ट्रैक्टरों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं.
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