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यूपी सरकार की गन्ना रणनीत‍ि...शुगर प्राेडक्शन कम कर रही योगी गवर्नमेंट

यूपी सरकार की गन्ना रणनीत‍ि...शुगर प्राेडक्शन कम कर रही योगी गवर्नमेंट

गन्ने की फसल के रकबे और उत्पादन के मामलों में उत्तर प्रदेश, देश में शीर्ष पर रहा है, लेक‍िन इसके बाद भी पिछले दो सालों से शक्कर के उत्पादन में यूपी, दूसरे स्थान पर है. आंकड़ों के हवाले से इसके पीछे की वजह और रणनीति पर 'किसान तक' की रिपोर्ट.......

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योगी सरकार घटा रही शुगर प्रोडक्शन योगी सरकार घटा रही शुगर प्रोडक्शन

यूपी सरकार की गन्ना ड‍िप्लोमेसी इन द‍िनों चर्चा में है, ज‍िसमें यूपी ने बदलते दौर की जरूरतों को देखते हुए एक खास रणनीति के तहत शक्कर यानी चीनी के राष्ट्रीय बाजार में अपनी भागीदारी को बीते 2 सालों से संकुचित कर लिया है. यूपी सरकार का दावा है कि इस रणनीति के पीछे किसानों का हित छुपा हुआ है. यूपी सरकार के गन्ना विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में गन्ना की उपज, पेराई और शक्कर उत्पादन पिछले 10 साल में लगातार बढ़ा है और इन मामलों में यूपी देश के अन्य राज्याें से आगे भी रहा है. गन्ना सत्र 2017-18 से 2020-21 के दौरान लगातार 4 साल तक यूपी गन्ना उत्पादन, पेराई और चीनी उत्पादन में देश में अव्वल रहने के बाद 2021-22 और चालू सत्र 2022-23 में महाराष्ट्र से पीछे हो गया है. इसकी प्रत्यक्ष और परोक्ष वजहें उभर कर सामने आने लगी हैं.

विभाग के आंकड़ों से इसकी प्रत्यक्ष वजह उजागर होती है क‍ि राज्य सरकार कुल शक्कर उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा इथेनॉल के उत्पादन में लगा रही है. वहीं परोक्ष कारण गन्ने से चीनी बनाने के बजाय खांडसारी की बाजार में बढ़ती मांग को पूरा कर, शक्कर की भरपाई गुड़ से करके किसानों काे ज्यादा लाभ पहुंचाना है.

आंकड़ों से उभरी ये तस्वीर

सरकार के अपने आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि पिछले कुछ सालों में गन्ना एवं चीनी उत्पादन के मामले में यूपी और महाराष्ट्र के बीच देश में पहले और दूसरे पायदान पर रहने की होड़ लगी रही. गन्ना विकास विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में गन्ना की फसल का सर्वाधिक रकबा यूपी में है. यह महाराष्ट्र से लगभग दोगुना है. गन्ना उत्पादन में भी यूपी देश में अव्वल है. जबकि पेराई के मामले में महाराष्ट्र पिछले दो सालों से यूपी को पीछे छोड़कर चीनी के उत्पादन में भी स्वाभाविक तौर पर अव्वल हो जाता है.

गन्ना का रकबा

गन्ना सत्र 2010-11 के दौरान यूपी में गन्ने की फसल का रकबा 22.51 लाख हेक्टेयर था. साल 2022-23 में यूपी का गन्ना रकबा बढ़कर 28.53 लाख हेक्टेयर हो गया. वहीं, महाराष्ट्र में इस साल गन्ना का रकबा 14.9 लाख हेक्टेयर रहा, जबक‍ि पूरे देश में 62 लाख हेक्टेयर जमीन पर गन्ने की फसल बोई गई. स्पष्ट है देश में गन्ने की कुल फसल का 46 प्रतिशत रकबा यूपी के हिस्से में आता है. इस मामले में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत है. देश के अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में कर्नाटक, बिहार, तमिलनाडु, गुजरात और हरियाणा शामिल हैं. हालांकि, गन्ना एवं चीनी उत्पादन में इन राज्यों की हिस्सेदारी बहुत कम है.

गन्ना की उत्पादकता एवं उत्पादन

आंकड़े बताते हैं कि यूपी में गन्ना की उत्पादकता साल 2011-12 में 59.35 टन प्रति हेक्टेयर थी और उस साल राज्य में 1335.72 लाख टन गन्ना उत्पादन हुआ था. प्रदेश में हर साल उत्पादकता बढ़ते हुए 2021-22 में 82.31 टन प्रति हेक्टेयर और गन्ना उत्पादन 2272.19 लाख टन पर पहुंच गया.

यूपी में र‍िकॉर्ड गन्ना उत्पादन के बाद भी घटा शुगर प्रोडक्शन (Graphics Sandeep Bharadwaj)
यूपी में र‍िकॉर्ड गन्ना उत्पादन के बाद भी घटा शुगर प्रोडक्शन (Graphics Sandeep Bharadwaj)

चालू सत्र 2022-23 में यूपी में 28.5 लाख हेक्टेयर जमीन पर 82 टन प्रति हेक्टेयर की अनुमानित उत्पादकता के फलस्वरूप 2348 लाख टन गन्ना उत्पादन होने का अनुमान है, जबकि महाराष्ट्र में 14.9 लाख हेक्टेयर जमीन पर 89 टन प्रति हेक्टेयर की दर से 1316 लाख टन गन्ना उत्पादन होने का अनुमान है. पूरे देश में इस साल 83 टन प्रति हेक्टेयर की उपज दर से 5153 लाख टन गन्ना उत्पादन के साथ 3510 लाख टन गन्ना की पेराई कर 340 लाख टन शक्कर का उत्पादन होने का अनुमान है.

चीनी मिलें, गन्ना की पेराई और शक्कर उत्पादन

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में साल 2017-18 से लेकर 2019-20 तक 119 चीनी मिलें थीं, जो 2020-21 एवं 2021-22 में बढ़कर 120 हो गईं. वहीं महाराष्ट्र में 2017-18 में 186 चीनी मिलें कार्यरत थीं, जो कि 2021-22 में बढ़कर 200 हो गई. पूरे देश में कार्यरत चीनी मिलों की संख्या 2017-18 में 525 थी जो 2021-22 में 522 रह गईं.

गन्ना पेराई की बात की जाए तो 2017-18 में यूपी की 119 चीनी मिलों से 1111.90 लाख टन गन्ना पेराई करके 120.50 लाख टन शक्कर का उत्पादन किया गया था. जबकि इसी अवध‍ि में महाराष्ट्र की 186 चीनी मिलों से 951.89 लाख टन गन्ना की पेराई कर 107.05 लाख टन शक्कर उत्पादन हुआ. इसके बाद के 4 सालों में गन्ना पेराई और शक्कर उत्पादन के मामले में देश में अव्वल रहते हुए यूपी में साल 2020-21 के दौरान 1027.50 लाख टन गन्ना की पेराई कर 110.59 लाख टन शक्कर का उत्पादन हुआ. इसी अवध‍ि में महाराष्ट्र में 1012.38 लाख टन गन्ना की पेराई कर 106.30 लाख टन शक्कर का उत्पादन हुआ.

इसके बाद 2021-22 में यूपी में पेराई घटकर 1016.26 लाख टन और शक्कर उत्पादन घटकर 101.98 लाख टन रह गया. वहीं महाराष्ट्र में 2021-22 में 1322.32 लाख टन गन्ना पेराई करके 137.36 लाख टन शक्कर का उत्पादन किया गया. यह देश में अब तक का सर्वाध‍िक उत्पादन था.

यूपी ने देश में रिकॉर्ड तोड़ चीनी उत्पादन साल 2019-20 में किया था. इस साल यूपी में 1118 टन गन्ना पेराई कर 126.37 लाख टन शक्कर उत्पादन हुआ था. चालू गन्ना सत्र 2022-23 के अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक यूपी में 14 फरवरी तक 1040 लाख टन गन्ना की पेराई कर 103 लाख टन शक्कर का उत्पादन हुआ. महाराष्ट्र में य‍ह आंकड़ा 117 लाख टन तक पहुंच गया है.

कम उत्पादन की वजह

यूपी में बीते दो सालों के दौरान शक्कर का उत्पादन घटने की प्रत्यक्ष वजहें सरकार के आंकड़ों में स्पष्ट तौर पर झलकती हैं. आंकड़ें बताते हैं कि यूपी कुल गन्ना उत्पादन का आधे से भी कम मात्रा की पेराई कर रहा है, जबक‍ि महाराष्ट्र में कुल उपज का 90 प्रतिशत तक गन्ना की पेराई हो रही है.

साल 2011-12 में यूपी में कुल गन्ना उत्पादन 1335.72 लाख टन हुआ था. इसमें से लगभग 57 प्रतिशत (768.55 लाख टन) गन्ने की पेराई की गई. साल दर साल यह प्रतिशत घटकर अब 40 से 45 प्रतिशत के बीच में रह गया है. यूपी में साल 2021-22 में कुल उत्पादित 2272.26 लाख टन गन्ना में से 1016.26 लाख टन (44.72 प्रतिशत) पेराई हुई.

चालू गन्ना सत्र 2022-23 में यूपी 2348 लाख टन उत्पादित गन्ना में से 1040 लाख टन (44.29 प्रतिशत) की पेराई होने का अनुमान है. इस साल महाराष्ट्र में गन्ना के अनुमानित उत्पादन 1316 लाख टन में से 1250 लाख टन गन्ना की पेराई (90.95 प्रतिशत) होने का अनुमान है.

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प‍िछले 2 सालों में शक्कर उत्पादन में यूपी के दूसरे पायदान पर पहुंचने की दूसरी प्रत्यक्ष वजह इन 2 सालों में शक्कर से इथेनॉल बनाने का स्तर बढ़ाना है. यूपी ने 2021-22 में कुल 102 लाख टन शक्कर का उत्पादन किया था, जबकि 14.5 लाख टन शक्कर का डायवर्सन इथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया, जबकि इस साल यह मात्रा बढ़ाकर 21 लाख टन कर दी गई है. वहीं, दूसरी ओर महाराष्ट्र में 2021-22 के दौरान 137 लाख टन कुल शक्कर उत्पादन के फलस्वरूप 11 लाख टन शक्कर का डायवर्सन इथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया. महाराष्ट्र में इस साल यह मात्रा बढ़ाकर 14 लाख टन कर दी गई है. इसके अलावा यूपी में शक्कर उत्पादन का स्तर कम होने की परोक्ष वजहें भी हैं.

विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने 'किसान तक' को बताया कि मोदी सरकार की नीति के अनुरूप यूपी की योगी सरकार का पूरा जोर इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने पर है. जिससे किसानों से गन्ना खरीद की मात्रा को बढ़ाया जा सके और स्वच्छ ईंधन के उत्पादन में इजाफा किया जा सके. इसके अलावा यूपी में गन्ना पेराई की कम मात्रा के पीछे अधिकारियों ने नियमों की बाध्यता को मूल वजह बताया.

इसके लिए दलील यह दी गई कि यूपी सरकार के नियमों के मुताबिक गन्ना की कुल उपज की आधी मात्रा ही पेराई के लिए दी जा सकती है. इसके पीछे राष्ट्रीय बाजार में खांडसारी की निरंतर बढ़ती मांग और गन्ना के उन्नत बीज की देश भर में बढ़ती जरूरत को यूपी के गन्ना से ही पूरा करने का मकसद मुख्य वजह है. इसके अलावा तीसरी परोक्ष वजह, स्वास्थ्य कारण हैं, जिसके मद्देनजर दुनिया भर में शक्कर को दैनिक उपभोग में आम नागरिकों द्वारा लगातार कम करना भी है.

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