गन्ने के दाम को लेकर किसान आंदोलन की चेतावनी के बीच हरियाणा के सीएम मनोहरलाल ने कहा कि प्रदेश सरकार हमेशा किसानों के हित में योजनाएं बना रही है और हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है. इसी कड़ी में गन्ने के मूल्य को लेकर सरकार ने कृषि मंत्री की अध्यक्षता में गन्ना मूल्य निर्धारण कमेटी बनाई है, जो गन्ने की लागत, चीनी का रेट, उसकी रिकवरी सहित अन्य संबंधित विषयों का अध्ययन कर रही है. यह कमेटी जल्द ही सरकार को रिपोर्ट देगी. राज्य सरकार चीनी मिलों की क्षमता भी बढ़ा रही है. मिलों में अब इथेनॉल बनाने की दिशा में भी तेजी से कार्य हो रहा है, ताकि घाटे में कुछ कमी लाई जा सके.
दरअसल, पंजाब में गन्ने का भाव बढ़ाए जाने के बाद अब हरियाणा सरकार इसे लेकर काफी दबाव में है. किसान बड़े आंदोलन की योजना बना रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार गन्ने का भाव 450 रुपये प्रति क्विंटल करे वरना उन्हें मजबूरी में चीनी मिलें बंद करवानी पड़ेंगी. हरियाणा में गन्ने का रेट, आसपास के राज्यों में सर्वाधिक होता था लेकिन इस साल रेट में बढ़ोतरी न होने से यह पंजाब से कम है. पंजाब में 380 रुपये का भाव है जबकि हरियाणा में यह 362 ही है.अक्टूबर से शुरू हुए गन्ना सीजन 2022-23 के लिए सरकार ने अब तक दाम में कोई वृद्धि नहीं की है. इससे राज्य सरकार के खिलाफ किसानों में आक्रोश है.
मनोहरलाल सरकार ने गन्ने का भाव बढ़ाने की बजाय सिर्फ एक कमेटी बना दी है. सरकार मिलों के घाटे का रोना रो रही है. किसानों ने हरियाणा सरकार को चेताया है कि अगर गन्ने का रेट नही बढ़ाया गया तो किसान अनिश्चित काल के लिए शुगर मिलों को बंद करने पर मजबूर होंगे. हरियाणा में तो 262 रुपये दाम है, लेकिन यूपी में उससे भी कम सिर्फ 350 रुपये क्विंटल ही है. वहां भी इसे लेकर किसान आक्रोशित हैं. उनका आंदोलन चल रहा है.
हरियाणा के सीएम खेती-किसानी के मामले में अक्सर पंजाब से तुलना करते हैं. लेकिन, गन्ने के भाव को लेकर चुप हैं. पिछले साल जब पंजाब सरकार ने 360 रुपये का भाव तय किया था तब खुद को पंजाब से आगे दिखाने के लिए मनोहरलाल खट्टर ने अपने सूबे में गन्ने का भाव पंजाब से 2 रुपये अधिक कर दिया था. यानी हरियाणा सरकार ने 12 रुपये की मामूली बढ़ोतरी की थी.
गन्ना सीजन 2022-23 के लिए पंजाब सरकार ने अक्टूबर 2022 के पहले सप्ताह में ही गन्ने का भाव 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया था. इसके बाद वहां गन्ने का रेट देश में सबसे अधिक 380 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. इससे हरियाणा के किसानों को सरकार के खिलाफ बोलने का मौका मिल गया.
गन्ना सीजन 2022-23 के लिए पहले ही एफआरपी में 15 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि कर दी थी. इसके बाद चीनी मिलों द्वारा दिए जाने वाला गन्ने का न्यूनतम दाम 305 रुपए प्रति क्विंटल हो चुका है. लेकिन यह दाम 10.25 परसेंट चीनी रिकवरी पर मिलता है. हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में एफआरपी से अलग अपनी कीमत तय होती है. जिसे स्टेट एडवायजरी प्राइस (एसएपी) कहते हैं. लेकिन, जब केंद्र सरकार एफआरपी बढ़ाती है तब हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब पर भी दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ता है.
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