धान की बुवाई से पहले किसान अपने खेतों में कर लें ये काम, होगा लाखों का मुनाफा

धान की बुवाई से पहले किसान अपने खेतों में कर लें ये काम, होगा लाखों का मुनाफा

मिट्टी की जांच से किसानों को यह जानकारी मिलती है कि किन पोषक तत्वों की कमी है और किसे अधिक मात्रा में डालने की आवश्यकता है. इससे वे बिना किसी जानकारी के रासायनिक उर्वरकों का अति प्रयोग नहीं करेंगे, जो मिट्टी के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 30, 2025,
  • Updated Mar 30, 2025, 11:23 AM IST

किसान अपने खेतों में उच्च गुणवत्ता वाली फसल उगाने के लिए अनेक उपायों का पालन करते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि मृदा परीक्षण (Soil Testing) करना उनके लिए कितना सफल साबित हो सकता है. फसल की कटाई के बाद मृदा परीक्षण कराना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे किसानों को पता चलता है कि उनकी भूमि में कौन से पोषक तत्वों की कमी है और कौन से तत्व अधिक हैं. इसके आधार पर विशेषज्ञ उन्हें सही सुझाव देते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार हो सकता है. 

मृदा परीक्षण का लाभ

मिट्टी की जांच किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके माध्यम से किसानों को कई लाभ मिलता है. पोषक तत्वों की कमी और अधिकता का पता चलता है. मृदा परीक्षण से किसान यह जान सकते हैं कि उनकी जमीन में कौन से पोषक तत्वों की कमी है और कौन से तत्व अधिक हैं. इससे वे सही मात्रा में उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ सकती है.

रासायनिक उर्वरकों का सही उपयोग 

मिट्टी की जांच से किसानों को यह जानकारी मिलती है कि किन पोषक तत्वों की कमी है और किसे अधिक मात्रा में डालने की आवश्यकता है. इससे वे बिना किसी जानकारी के रासायनिक उर्वरकों का अति प्रयोग नहीं करेंगे, जो मृदा स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है.

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कृषि लागत में कमी

सही उर्वरक और पोषक तत्वों का इस्तेमाल करने से किसानों की लागत में भी कमी आ सकती है. वे जरूरत के अनुसार ही उर्वरक खरीदेंगे, जिससे बेवजह के खर्चों में कमी आएगी.

मृदा परीक्षण से पहले क्या करें?

जिला कृषि अधिकारी डॉ. विकास किशोर के अनुसार, किसानों को किसी भी फसल की बुवाई करने से पहले मृदा परीक्षण करना चाहिए. यह उनकी भूमि की स्थिति का सही आकलन करने में मदद करता है और सही पोषक तत्वों के चयन में मदद करता है.

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कैसे एकत्र करें मिट्टी का सैंपल?

मिट्टी की जांच कराने के लिए किसान सही तरीके से मिट्टी का सैंपल लें. यहां बताया जा रहा है कि सैंपल कैसे एकत्र किया जा सकता है:

सैंपल इकट्ठा करने का तरीका  

किसान को खेत में 8-10 जगहों से मिट्टी का सैंपल लेना चाहिए. इसके लिए गड्ढा लगभग 6 इंच लंबा, 4 इंच चौड़ा और 6 इंच गहरा करना चाहिए. फिर खुरपी से गड्ढे की दीवार से 2.5 सेंटीमीटर की परत काटकर अलग कर लें. 

मिट्टी को मिलाना  

विभिन्न स्थानों से एकत्रित की गई मिट्टी को अच्छे से मिला लें. फिर उसे चार हिस्सों में बांट लें. इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक कि आधा किलो मिट्टी न रह जाए. फिर उसे साफ थैली में भरकर प्रयोगशाला भेजें.

मिट्टी के नमूने को सुखाना

अगर मिट्टी में नमी हो, तो उसे छांव में सूखा लें. नमूना लेते समय यह ध्यान रखें कि मिट्टी में अधिक नमी न हो, क्योंकि इससे परीक्षण के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं.

सही जगह से सैंपल लें

किसान यह सुनिश्चित करें कि सैंपल ऐसी जगह से लिया जाए जहां आसपास पेड़, सिंचाई नाली या खाद के गड्ढे न हों. इस तरह से लिए गए नमूने सही और सटीक परिणाम देंगे.

मिट्टी की जांच की प्रक्रिया और शुल्क

किसान मिट्टी की जांच के लिए कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही मृदा परीक्षण लैब में जा सकते हैं. विभाग इस सेवा के लिए किसानों से 100-110 रुपये प्रति सैंपल का शुल्क लेता है.

मिट्टी की जांच किसानों के लिए बेहद जरूरी है. इससे न सिर्फ उनकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ती है बल्कि कृषि लागत पर भी नियंत्रण रहता है. इसलिए हर किसान को मिट्टी की जांच को अपनी कृषि योजना का हिस्सा बनाना चाहिए. फसल की बुआई से पहले और कटाई के बाद मिट्टी की जांच करवाकर वे अपनी जमीन की सेहत का सही आकलन कर सकते हैं और बेहतर कृषि परिणाम प्राप्त कर सकते हैं.

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