
बिहार के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर की ओर से आई है, जहां के वैज्ञानिकों ने उच्च उपज, रोग प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल गेहूं की नई किस्मों की पहचान की है, जिससे किसान कम लागत और कम संसाधन में अधिक पैदावार ले सकते हैं. बीएयू के वैज्ञानिकों की ओर से जलवायु अनुकूल गेहूं के BRW 3959,BRW 3975,BRW 3981,BRW 3982, BRW 3993, BRW 3996, BRW 3999, BRW 4001, BRW 4009, BRW 3988-BRW 3992 रोग और गर्मी सहिष्णु किस्मों की पहचान किया गया है.
बीएयू सबौर के अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में एक शोध निगरानी दल ने बीएसी (बिहार कृषि महाविद्यालय) प्रयोगात्मक फार्म का दौरा किया. टीम ने कृषि परीक्षणों, गेहूं की उन्नत किस्मों, विभिन्न नाइट्रोजन स्तरों पर प्रदर्शन, देर से बुवाई की स्थितियों और बीज उत्पादन कार्यक्रमों की समीक्षा की और आगे सुधार के लिए सुझाव दिए. वहीं,टीम में डॉ. साइलबाला देई (उप निदेशक अनुसंधान), डॉ. एस.के. पाठक (डीन, पीजीएस), डॉ. पी.के. सिंह (अध्यक्ष, पीबीजी), डॉ. संजय कुमार (अध्यक्ष, एग्रोनॉमी), डॉ. दीपक बरनवाल (पी आई, गेहूं कार्यक्रम) और अन्य वैज्ञानिक शामिल रहे.
बीएयू के वैज्ञानिकों द्वारा कम पानी में भी अच्छी उपज के लिए BRW 3959,अधिक उपज, पोषक तत्वों से भरपूर, हीट टॉलरेंट के लिए BRW 3975, पानी की कमी में भी बढ़िया उत्पादन के लिए BRW 3981 और रोग और गर्मी सहिष्णु किस्में के लिए BRW 3982, BRW 3993, BRW 3996, BRW 3999, BRW 4001, BRW 4009, BRW 3988-BRW 3992 की पहचान हुई है. वहीं, देर से बुवाई के लिए BRW 3923 और BRW 3954, समय पर बुवाई के लिए: BRW 3964 और BRW 3967 किस्मों का परीक्षण अंतिम चरण में है. जो जल्द ही किसानों तक पहुंचेंगी.
बीएयू सबौर के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य किसानों को ऐसी गेहूं किस्में देना है, जो खराब मौसम में भी अच्छी पैदावार दें, बीमारियों से बची रहें और कम लागत में अधिक मुनाफा दें. ये नई किस्में किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगी. वहीं, बीएयू सबौर के अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि "जलवायु परिवर्तन गेहूं उत्पादन को प्रभावित कर रहा है, इसलिए हमने ऐसी किस्में विकसित की हैं जो कम पानी, ज्यादा गर्मी और बीमारियों के प्रति सहनशील हैं. ये किस्में बिहार के किसानों की मदद करेंगी और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेंगी.
नई गेहूं और मक्का की किस्मों ने 150 फीसदी तक एनपीके उर्वरकों की खुराक पर अधिक उपज दी. वहीं, सही पोषक प्रबंधन से किसानों को बेहतर मुनाफा मिल सकता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि कुछ गेहूं की फसलों में पत्ती का झुलसा (लीफ ब्लाइट) और जंग (लीफ रस्ट) देखने को मिला है. लेकिन बीएयू वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक रोग प्रतिरोधी किस्में विकसित कर ली हैं. जंग प्रतिरोधी जीन (Lr53, Yr35, Lr52, Yr47, Lr76, Yr70, Yr10, Yr15-Yr24, Yr26) को लोकप्रिय गेहूं किस्मों में जोड़ा गया है, जैसे: सबौर समृद्धि, सबौर निर्जल, DBW 187, WH 730 और HD 2967 है.
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