भारत से मक्के का निर्यात गिरा, इथेनॉल और पोल्ट्री फीड में मांग बनी बड़ी वजह

भारत से मक्के का निर्यात गिरा, इथेनॉल और पोल्ट्री फीड में मांग बनी बड़ी वजह

2024-25 के लिए भारत की मक्का की मांग 470 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है, जिसमें से अधिकांश मांग पोल्ट्री फीड सेगमेंट से 220 लाख टन, मवेशी फ़ीड से 50 लाख टन और स्टार्च सेक्टर से भी 50 लाख टन होगी. इथेनॉल क्षेत्र से मांग 100 लाख टन होने का अनुमान है. उद्योग का अनुमान है कि उत्पादन 320 लाख टन होगा.

Advertisement
भारत से मक्के का निर्यात गिरा, इथेनॉल और पोल्ट्री फीड में मांग बनी बड़ी वजहमक्के के निर्यात में गिरावट

भारत से इस साल मक्के का निर्यात बड़े पैमाने पर गिरा है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि घरेलू मार्केट में ही इतनी अधिक डिमांड है कि निर्यात पर ध्यान कम हो गया है. देश के अंदर ही इथेनॉल निर्माण और फीड में मक्के की खपत बहुत अधिक बढ़ गई है. इसके अलावा, घरेलू बाजार में मक्के का दाम भी पहले से अधिक चल रहा है जिस वजह से निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही है.

आई ग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा, "निर्यात (मक्के का) हो रहा है, लेकिन सीमित मात्रा में. नवंबर और दिसंबर के दौरान निर्यात अच्छी मात्रा में हुआ है, लेकिन उससे पहले निर्यात कमजोर था. हालांकि, पिछले साल की तुलना में मुख्य निर्यात कम रहेगा."

मक्का आयात बढ़ा

दूसरी ओर, इथेनॉल निर्माताओं की मांग के कारण मक्का का आयात बढ़ा है, चौहान ने कहा. भारत जीएम मक्का के आयात की अनुमति नहीं देता है. यूक्रेन और म्यांमार भारत के अलावा एकमात्र अन्य प्रमुख उत्पादक हैं जो गैर-जीएम मक्का उगाते हैं. उन्होंने कहा कि 2024 में मक्का का आयात 8 लाख टन से अधिक था. इसमें से 4.37 लाख टन म्यांमार से, 4.45 लाख टन यूक्रेन से और 1,875 टन सिंगापुर से आयात किया गया.

ये भी पढ़ें: बिहार में मक्के की खेती का नया बेल्ट बनाने की कोशिश तेज, इथेनॉल ने बढ़ाई मांग

DGCIS के आंकड़ों के अनुसार, इस साल दिसंबर तक नेपाल को किए जाने वाले मुख्य निर्यात का मूल्य घटकर 74.08 मिलियन डॉलर (पिछले साल 104.41 मिलियन डॉलर), बांग्लादेश को 13.86 मिलियन डॉलर (72.72 मिलियन डॉलर) और मलेशिया को 0.74 मिलियन डॉलर (14.50 मिलियन डॉलर) रह गया. भूटान को किए जाने वाले निर्यात बढ़कर 12.84 मिलियन डॉलर (8.01 मिलियन डॉलर) और श्रीलंका को 23.64 मिलियन डॉलर (3.06 मिलियन डॉलर) हो गए.

मक्के की मांग तेज

2024-25 के लिए भारत की मक्का की मांग 470 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है, जिसमें से अधिकांश मांग पोल्ट्री फीड सेगमेंट से 220 लाख टन, मवेशी फ़ीड से 50 लाख टन और स्टार्च सेक्टर से भी 50 लाख टन होगी. इथेनॉल क्षेत्र से मांग 100 लाख टन होने का अनुमान है. उद्योग का अनुमान है कि उत्पादन 320 लाख टन होगा.

ये भी पढ़ें: क्या बिहार से कर्नाटक शिफ्ट होगा मक्का रिसर्च सेंटर? संसद में सरकार ने दिया ये जवाब

देश में मक्के का उत्पादन बढ़ा है, साथ ही उसकी खपत भी बढ़ी है. इथेनॉल और पोल्ट्री फीड में इसका सबसे अधिक इस्तेमाल हो रहा है जिससे घरेलू बाजारों में मक्के का दाम बढ़ा हुआ है. दाम बढ़ने की वजह से निर्यात में कमी आ रही है क्योंकि कई बाहरी देश इसे महंगे रेट पर खरीदना नहीं चाह रहे हैं.

इथेनॉल का बड़ा रोल

पेट्रोल के साथ इथेनॉल को मिलाने और पोल्ट्री फीड में मुख्य रूप से इस्तेमाल किए जाने की वजह से मक्का का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है, इसलिए सरकार उत्पादन स्तर बढ़ाने का लक्ष्य बना रही है. कृषि मंत्रालय ने 2025-2026 तक 20 परसेंट इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार किसानों को मक्का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है. इसके लिए अच्छे बीज और सब्सिडी जैसी योजनाओं पर बल दिया जा रहा है. 

 

POST A COMMENT