खाद्य तेलों के ग‍िरेंगे दाम! इस साल 125 लाख टन सरसों की उपज होने का अनुमान

खाद्य तेलों के ग‍िरेंगे दाम! इस साल 125 लाख टन सरसों की उपज होने का अनुमान

इस साल 125 लाख टन सरसों की पैदावार होने की उम्मीद है. पिछले दो साल में सरसों की पैदावार में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा रही है. पिछले दो साल में सरसों की उपज 91.24 लाख टन से बढ़कर 117.46 लाख टन पर पहुंच गई है. उत्पादन देखें तो प्रति हेक्टेयर पहले जहां 1331 किलो सरसों होती थी जो अब बढ़कर 1458 किलो पर पहुंच गई है. रकबे में भी बढ़ोतरी देखी गई है.

इस साल सरसों की बंपर पैदावार मिलने की उम्मीदइस साल सरसों की बंपर पैदावार मिलने की उम्मीद
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 05, 2023,
  • Updated Jan 05, 2023, 5:11 PM IST

देश में खाद्य तेलों के दामों में अभी और ग‍िरावट हो सकती है. असल में इस साल सरसों की पैदावार में बढ़ोतरी आने का अनुमान है.  रकबा बढ़ने से पैदावार बढ़ने की संभावना बढ़ गई है. पिछले साल की तुलना में इस बार 6 परसेंट तक उपज में वृद्धि देखने को मिल सकती है. इस साल खाद्य तेलों की मांग भी बढ़ने की भी उम्मीद है जिससे तेल का आयात बढ़ सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल सरसों का उत्पादन 125 लाख टन तक पहुंच सकता है जो कि पिछले साल की तुलना में 6 फीसद अधिक रहेगा. हालांकि उत्पादन इस बात पर निर्भर करेगा कि अगले एक महीने तक मौसम कैसा रहेगा.

अगले एक महीने में अगर मौसम सही रहता है, पाले की समस्या नहीं देखी जााएगी तो सरसों की बंपर पैदावार होगी. अभी तक का मौसम सरसों के लिए बिल्कुल सही चल रहा है. गेहूं के लिए भी मौजूदा ठंड अच्छी साबित हो रही है. 

राजस्थान के भरतपुर स्थित डायरेक्टरेट ऑफ रेपसीड मस्टर्ड रिसर्च (DRMR) के डायरेक्टर पीके राय 'बिजनेसलाइन' से कहते हैं, अभी तक सरसों की फसल सही जा रही है और कहीं से भी फसलों पर कीटों की मार की खबर नहीं है. फूल अच्छे आए हैं और उसके बाद के चरण में फलियां भी सही आती दिख रही हैं. जहां सरसों की बुआई पहले हुई है वहां फूल और फलियां देखी जा रही हैं. आशा है कि अगले महीने के पहले हफ्ते से सरसों की उपज निकलना शुरू हो जाएगी. भरतपुर का डीआरएमआर इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च यानी कि ICAR के अंतर्गत आता है.

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इस साल 125 लाख टन सरसों की पैदावार होने की उम्मीद है. पिछले दो साल में सरसों की पैदावार में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा रही है. पिछले दो साल में सरसों की उपज 91.24 लाख टन से बढ़कर 117.46 लाख टन पर पहुंच गई है. उत्पादन देखें तो प्रति हेक्टेयर पहले जहां 1331 किलो सरसों होती थी जो अब बढ़कर 1458 किलो पर पहुंच गई है. रकबे में भी बढ़ोतरी देखी गई है. 

साल 2019-20 में जहां 68.56 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती होती थी, वह 2021-22 में बढ़कर 80.58 लाख हेक्टेयर हो गई. इसी तरह सरसों की सालाना मांग में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. इस साल 120 लाख टन सरसों की मांग आ सकती है. 

'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में कहा गया है, मौजूदा रबी सीजन में 30 दिसंबर तक सरसों और तोरिया के रकबे में 9 फीसद तक की बढ़ोतरी देखी गई है और यह 94.22 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. हालांकि जब बुआई का अंतिम आंकड़ा आएगा, तो इसमें कुछ कमी देखी जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक, अगर आने वाले समय में और 10 लाख हेक्टेयर तक अतिरिक्त सरसों की बुआई बढ़ती है, तो सरसों की उपज में 15 लाख टन तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. 

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देश में सबसे अधिक सरसों की खेती राजस्थान में होती है. देश के कुल तिलहन उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी 50 परसेंट तक होती है. 30 दिसंबर तक राजस्थान में 38.52 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती हुई है जो कि पिछले साल की मुकाबले 5 लाख हेक्टेयर अधिक है.

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