मध्य प्रदेश में इन दिनों रबी फसलों की कटाई का समय चल रहा है. इसमें खासकर गेहूं एक ऐसी फसल है, जिसकी कटाई के दौरान खेत में अवशेष बच जाते हैं, जिनका निपटान/प्रबंधन करना कठिन होता है. ऐसे में कई किसान इसे जलाकर अगली बुवाई के लिए खेत तैयार करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. अब राज्य के छिंदवाड़ा जिले में पराली जलाने का मामला सामने आया है. जिसके बाद पुलिस ने सात किसानों के खिलाफ केस दर्ज किया है. एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अमरवाड़ा के तहसीलदार राजेश मरावी ने बताया कि इन किसानों ने जिला कलेक्टर के आदेश का उल्लंघन करते हुए 3 अप्रैल को फसल काटने के बाद पराली जला दी थी. स्थानीय पटवारी की रिपोर्ट के बाद की गई जांच में पाया गया कि इन किसानों ने जानबूझकर पराली जलाई थी. कृषि और राजस्व विभाग की एक संयुक्त टीम ने मौके का दौरा किया और जांच की.
अधिकारी ने बताया कि इस बात की पुष्टि हुई कि आग शॉर्ट सर्किट या किसी अन्य प्राकृतिक कारण से नहीं लगी थी. इससे साबित होता है कि पराली को जानबूझकर आग लगाई गई थी. उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के बाद सात किसानों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 223 के तहत मामला दर्ज किया गया और मामले की आगे की जांच की गई.
बता दें कि फसल कटाई शुरू होने के पहले यानी फरवरी में ही प्रदेश के किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने किसानों को चेतावनी दी थी कि वे फसल काटने के बाद पराली में आग न लगाएं नहीं तो उनके खिलाफ जुर्माना समेत अन्य वैधानिक कार्रवाई की जाएगी. सरकार सैटेलाइट से पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी कर रही है.
मंत्री ने कहा था कि पर्यावरण सुरक्षा के चलते नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) के निर्देशों को मानते हुए राज्य में फसल अवशेष- खासकर धान और गेंहूं की पराली जलाने पर रोक लगाई गई है. पर्यावरण विभाग ने इसके लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि यानी जुर्माना तय किया है. प्रावधान के मुताबिक, ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/किसान जिसके पास 2 एकड़ तक खेती की जमीन है और पराली जलाने का दोषी पाया जाता है तो पर्यावरण क्षति के रूप में 2500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
वहीं, 2 से ज्यादा और 5 एकड़ तक जमीन मालिक/निकाय/किसान पर 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं, 5 एकड़ से अधिक जमीन वाले किसान पर पराली जलाने पर पर्यावरण क्षति के लिए 15 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा. नियम के मुताबिक, किसान जितनी बार पराली जलाएंगे, उनपर उतनी बार आर्थिक दंड की कार्रवाई की जाएगी.