हिसार जिले के 50 गांवों में रबी फसलों की बुआई में देरी देखी जा रही है. इससे 2058 एकड़ रकबे में रबी फसलों की खेती पिछड़ रही है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सितंबर में हुई बारिश का पानी अभी सूखा नहीं है. खेतों में पानी लगने से अगली फसल की बुआई नहीं हो पा रही है. इन गावों के किसानों का कहना है कि उन पर मौसम की दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि पिछली खरीफ फसल भी बर्बाद हो गई और अब पानी जमा होने से रबी सीजन की खेती नहीं हो पा रही है.
लगभग 10 जिलों में पानी लगने से खेती प्रभावित होने की खबर मीडिया में आते ही हिसार जिले का प्रशासन हरकत में आ गया और कार्रवाई भी शुरू हो गई. जिलाधिकारी ने खेतों में जमे पानी को जल्द निकालने का बंदोबस्त करने का निर्देश दिया है. हिसार के एक गांव बधावर के पूर्व सरपंच सत्यवान सिंह 'दि ट्रिब्यून' से कहते हैं, जिला प्रशासन ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को जलनिकासी कराने का निर्देश दिया है. हिसार के सबसे अधिक प्रभावित गांवों में बधावर भी एक है. यहां का एक चौथाई खेत पानी में डूबा हुआ है. यहां तक कि प्रधानमंत्री आवास योजना में बने कई घरों में पानी अभी तम जमा हुआ है.
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खेतों में जलजमाव की रिपोर्ट आने के बाद जींद, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा और भिवानी में जिला प्रशासन हरकत में आया है. अभी हाल में कृषि मंत्री जेपी दलाल और प्रमुख सचिव संजीव कौशल ने जिला अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बात की. प्रभावित जिलों के अधिकारियों से बात की गई और फौरन कार्रवाई का आदेश दिया गया.
सूत्रों ने ट्रिब्यून को बताया कि 3396 एकड़ क्षेत्र में पानी लगा हुआ है. प्रशासन से निर्देश मिलने के बाद खेतों में पंप लगाकर पानी निकाला जा रहा है. जिला अधिकारियों का दावा है कि प्रभावित इलाकों से नई रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक 1338 एकड़ खेत अगले कुछ दिन में बुआई के लिए तैयार हो जाएंगे.
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बधावर गांव के एक किसान अनूप सिंह ने कहा कि सितंबर में भारी बारिश के बाद उनकी पूरी कपास और धान की फसल बर्बाद हो गई. “हमारे गांव में अभी 500 एकड़ से अधिक में फसल बोई जानी बाकी है. यह लगातार दूसरा साल है जब हमें फसल का नुकसान हुआ है.' अनूप सिंह ने कहा. बधावर के अलावा, अन्य बुरी तरह प्रभावित गांवों में बिठमारा, सिंघवा राघो, गुराना, सिंधार, लाडवा, पाटन, मिर्जापुर, चैनत, गढ़ी, भटोल जाटन आदि शामिल हैं.
सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने बधावर गांव से पानी निकालने के लिए एक नई नाली का निर्माण कराया था और पानी निकालने के लिए पंपों को सेवा में लगाया गया था. इसका अच्छा असर देखा जा रहा है.