सिरसा में 2,000 एकड़ खेत में भरा पानी, कपास की फसल पूरी तरह तबाह, किसानों ने की गिरदावरी की मांग

सिरसा में 2,000 एकड़ खेत में भरा पानी, कपास की फसल पूरी तरह तबाह, किसानों ने की गिरदावरी की मांग

सिरसा ज़िले में भारी बारिश के कारण 2,000 एकड़ खेती जलमग्न हो गई और कपास की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. किसान सरकार से विशेष गिरदावरी और मुआवज़े की मांग कर रहे हैं.

कपास की फसल बर्बादकपास की फसल बर्बाद
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 22, 2025,
  • Updated Jul 22, 2025, 12:06 PM IST

हरियाणा के सिरसा जिले के नाथूसरी चोपता ब्लॉक में हाल ही में हुई भारी बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. इस बारिश के कारण लगभग 2,000 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि जलमग्न हो गई है. सात गांव-रूपाना गंजा, रूपाना बिश्नोई, शक्कर मंदूरी, शाहपुरिया, नहरना, तरकावाली और चाहरवाला-सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. इस जलभराव से कपास, ग्वार और मूंगफली की फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन कपास की फसल पूरी तरह तबाह हो गई है. अकेले शक्कर मंदूरी, रूपाना गंजा और रूपाना बिश्नोई गांवों में ही 1,200 एकड़ कपास की फसल बर्बाद हो गई है.

किसान कर रहे मजबूरी में धान की बुवाई

कई किसानों को अब अपनी नष्ट हुई कपास की फसल जोतनी पड़ रही है और वे मजबूरी में धान की खेती कर रहे हैं, जो बारिश सहन कर सकती है. लेकिन इससे किसानों का खर्च बढ़ गया है. किसान मुकेश कुमार ने बताया, “मेरी पूरी 7 एकड़ कपास की फसल सड़ गई. मोटर से पानी निकाला, फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ.”

आर्थिक संकट में फंसे किसान

कई किसानों ने जमीन पट्टे पर ली हुई थी और उन्होंने प्रति एकड़ लगभग ₹10,000 का निवेश किया था. अब उन्हें धान की बुवाई के लिए 6,000 से 8,000 रुपये प्रति एकड़ और खर्च करना पड़ेगा.

किसान राज कासनिया ने कहा, “ये दोहरा नुकसान है. ऊपर से खारा भूजल मिट्टी को भी नुकसान पहुँचा रहा है. किसान करें भी तो क्या करें?”

सेम नाले का खतरा बना हुआ

स्थानीय जल निकासी प्रणाली, जिसे सेम नाला कहा जाता है, अब खतरे का कारण बन गई है. किसान डर रहे हैं कि अगर इसका तटबंध टूट गया, तो और खेत डूब सकते हैं और फसलें पूरी तरह बर्बाद हो सकती हैं. किसानों का आरोप है कि उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को पहले ही मानसून से पहले नाले की सफाई की याद दिलाई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.

विशेष गिरदावरी और मुआवजा

किसानों ने सरकार से विशेष गिरदावरी (फसल नुकसान का सर्वेक्षण) कराने और उचित मुआवजा देने की मांग की है, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके.

कृषि विभाग की सलाह

ज़िला कृषि उपनिदेशक डॉ. सुखदेव कंबोज ने बताया कि प्रभावित इलाके लवणता-प्रवण क्षेत्र हैं. उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे कम पानी और कम समय में पकने वाली धान की किस्में जैसे पूसा 1509, 1692, 1847 (बासमती) और पंजाब 126 (परमल) उगाएं. इन किस्मों को 33% कम पानी चाहिए होता है और ये लगभग 100 दिनों में पक जाती हैं. डॉ. कंबोज ने यह भी कहा कि अनियमित मौसम के कारण कपास अब जोखिम भरी फसल बनती जा रही है.

सिरसा के किसान इस समय प्राकृतिक आपदा और आर्थिक संकट दोनों से जूझ रहे हैं. उन्हें सरकार की तरफ से तत्काल राहत और सहायता की आवश्यकता है. अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में खेती करना और कठिन हो जाएगा.

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