देशभर में किसान अब मक्का की खेती की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. जुलाई के तीसरे हफ्ते तक मक्का की बुवाई में 15% की बढ़ोतरी देखी गई है. कृषि मंत्रालय के अनुसार, 21 जुलाई 2025 तक मक्का की बुवाई करीब 71.21 लाख हेक्टेयर (lh) क्षेत्र में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी समय तक यह आंकड़ा 61.73 लाख हेक्टेयर था.
विशेषज्ञ राहुल चौहान के अनुसार, मक्का की मांग चारा (feed) और इथेनॉल (ethanol) बनाने वाली कंपनियों से लगातार बढ़ रही है. पिछले दो सालों में किसानों को मक्का की फसल पर अच्छा दाम मिला है, खासकर जब तुलना सोयाबीन और दालों से की जाती है. इसी वजह से किसान अब मक्का की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं.
खरीफ 2024 में मक्का की बुवाई ने 84.30 लाख हेक्टेयर का रिकॉर्ड स्तर छू लिया.
अगर रबी सीजन के 27.24 लाख हेक्टेयर और गर्मी के 8.4 लाख हेक्टेयर को भी जोड़ें, तो 2024-25 में कुल मक्का क्षेत्र 120.17 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.
2024-25 में मक्का उत्पादन 42.28 मिलियन टन तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के 37.66 मिलियन टन से काफी ज्यादा है. CLFMA ऑफ इंडिया के चेयरमैन दिव्या कुमार गुलाटी के अनुसार, पशुपालन क्षेत्र में 8-10% की ग्रोथ के कारण मक्का की मांग भी तेजी से बढ़ रही है.
भले ही मक्का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा हो, लेकिन घरेलू मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण भारत को मक्का आयात करना पड़ा. 2024-25 में भारत ने 9.7 लाख टन मक्का आयात किया, जो पिछले साल के 1.37 लाख टन से छह गुना ज्यादा है.
देश में मक्का की खेती अब एक लाभकारी विकल्प बन चुकी है. अच्छी कीमत, बढ़ती मांग और उद्योगों की आवश्यकता के चलते किसान अब मक्का की ओर रुख कर रहे हैं. अगर यही रुझान जारी रहा, तो भारत मक्का उत्पादन में वैश्विक स्तर पर और मजबूत स्थिति में पहुंच सकता है.