पिछले साल की तुलना में इस बार अब तक गेहूं उत्पादक राज्यों से अधिक तापमान होने की खबर सामने नहीं है. जिसको एक शुभ संकेत माना जा रहा है. ऐसे में यह भी उम्मीदें लगाई जा रहीं है कि गेहूं उत्पादन में बढ़त होगी जो एक अच्छी खबर है. मंत्रालय द्वारा दिये गए जानकारी के मुताबिक इस बार निर्यात मांग के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक होने की उम्मीद में किसानों ने इस बार गेहूं की बुवाई अधिक क्षेत्रफल में की है. फसल वर्ष 2021-22 में कुछ उत्पादक राज्यों में अधिक गर्मी और लू के कारण घरेलू उत्पादन पिछले वर्ष के 109.59 मिलियन टन से गिरकर 106.84 मिलियन टन हो गया था. ऐसे में इस बार तापमान अधिक ना होने की खबर भारत के लिए एक शुभ संकेत साबित हो सकता है.
पीटीआई हवाले से कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल की अच्छी संभावना है क्योंकि मौजूदा तापमान पौधों की वृद्धि और उच्च उपज के लिए अनुकूल बना हुआ है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू हुए रबी सीजन में पिछले हफ्ते तक गेहूं का रकबा 3 फीसदी बढ़कर 286.5 लाख हेक्टेयर हो गया था.
गेहूं की अच्छी फसल की संभावना बनी हुई है. मौजूदा मौसम पौधों के विकास और बेहतर पैदावार के लिए अनुकूल है. उन्होंने कहा कि बेहतर मौसम की स्थिति और फसल के तहत अधिक क्षेत्र से 2022-23 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में अधिक उत्पादन होने की उम्मीद है. पिछले साल की तरह अब तक गेहूं उत्पादक राज्यों से अत्यधिक तापमान की कोई सूचना नहीं मिली है. जिस वजह से यह फसल की संभावनाओं के लिए शुभ संकेत है. मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने साझा किया कि निर्यात मांग के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक होने की उम्मीद में किसानों ने इस साल गेहूं की बुवाई अधिक क्षेत्रफल में की है.
2021-22 के फसल वर्ष में, कुछ उत्पादक राज्यों में लू के कारण घरेलू उत्पादन पिछले वर्ष के 109.59 मिलियन टन से गिरकर 106.84 मिलियन टन हो गया. नतीजतन, सरकारी स्वामित्व वाली एफसीआई द्वारा गेहूं की खरीद 2022-23 विपणन वर्ष में 434.44 लाख टन से गिरकर 187.92 लाख टन हो गई, जो घरेलू उत्पादन में गिरावट और निजी पार्टियों द्वारा अधिक खरीदी के कारण हुई थी. जिसको लेकर सरकार ने इस साल मई में घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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