एक हेक्टेयर में कपास की खेती करनी हो तो क‍ितना लगेगा बीज, यहां जानिए सटीक हिसाब

एक हेक्टेयर में कपास की खेती करनी हो तो क‍ितना लगेगा बीज, यहां जानिए सटीक हिसाब

कपास की खेती फायदे का सौदा है. कपास की मांग बाजारों में हमेशा बनी रहती है और बनी भी रहेगी क्योंकि कपड़े के लिए यह कच्चा माल होता है. ऐसे में किसान इसकी खेती नकदी फसल के तौर पर करते हैं. तो आइए आज जानते हैं कि एक हेक्टेयर में कपास की खेती का क्या हिसाब है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 23, 2025,
  • Updated Jul 23, 2025, 7:05 AM IST

कपास एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है, जो व्यावसायिक क्षेत्र में श्वेत स्वर्ण के नाम से जानी जाती है. इसकी खेती रेतीली लवणीय और सेम वाली मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. यही वजह है कि इसकी खेती बड़े पैमाने पर और कई राज्यों में की जाती है. इसकी खेती बड़े भूभाग पर इसलिए भी होती है क्योंकि इसकी मांग हमेशा बनी रहती है. जब तक कपड़े की मांग रहेगी, तब तक कपास की खेती होती रहेगी. इसे देखते हुए आइए कपास की खेती के बारे में कुछ जरूरी और महत्वपूर्ण बातें जान लेते हैं.

कपास की बुआई

उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों में कपास की बुआई मॉनसून के आने पर ही की जाती है. हालांकि यदि सिंचाई की अच्छी व्यवस्था हो, तो मई में भी इसकी बुआई की जा सकती है. बुआई के लिए सीड-कम-फर्टी ड्रिल अथवा प्लांटर का प्रयोग कर सकते हैं. अमेरिकन, संकर और देसी कपास की क्रमशः 15-20, 4-5 और 10-12 कि.ग्रा./हेक्टेयर बीज पर्याप्त होता है. 

देसी अथवा अमेरिकन कपास के लिए 60×30 सें.मी. और संकर किस्मों के लिए 90×40 सें.मी. पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी रखनी चाहिए. बोने से पहले बीजों को प्रति कि.ग्रा. 2.5 ग्राम कार्बण्डाजिम या कैप्टॉन दवा से उपचारित कर फसल को राइजोक्टोनिया जड़ गलन, फ्यूजेरियम उकठा और अन्य मिट्टी में होने वाली फफूंद से होने वाली व्याधियों को बचाया जा सकता है. 

इमिडाक्लोरोप्रिड 7.0 ग्राम अथवा कार्बोसल्फॉन 20 ग्राम/कि.ग्रा. ग्राम बीज उपचार से 40-60 दिनों तक रस चूसक कीटों से सुरक्षा मिलती है. दीमक से बचाव के लिए 10 मि.ली. पानी में 10 मि.ली. क्लोरोपाइरीफॉस मिलाकर बीज पर छिड़क दें और 30-40 मिनट छाया में सुखाकर बुआई कर दें.

किस्मों का चयन

कपास की संकर प्रजातियां जैसे-लक्ष्मी, एच.एस. 45, एच.एस.6, एल.एच. 144, एच.एल. 1556, एफ. 1861 और देसी प्रजातियां जैसे-एच. 777, एच.डी. 1, एच. 974 और एल.डी. 327 आदि प्रमुख हैं.

पोषक तत्व प्रबंधन

उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए. कपास की अमेरिकन और देसी किस्मों के लिए 60-80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 30 कि.ग्रा. फॉस्फोरस, 20-30 कि.ग्रा. पोटाश और संकर किस्मों के लिए 150-60-60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. 25 कि.ग्रा. जिंक प्रति हेक्टेयर का प्रयोग लाभदायक है. नाइट्रोजन की आधी मात्रा और बाकी उर्वरकों की पूरी मात्रा बुआई के समय डालनी चाहिए. नाइट्रोजन की बाकी मात्रा फूल आने के समय सिंचाई के बाद में देनी चाहिए.

किसान इन सलाहों पर गौर करते हुए कपास की खेती कर सकते हैं और उससे अच्छी कमाई पा सकते हैं. वैज्ञानिकों के बताए इन सुझावों पर अमल करते हुए किसान कपास की मुनाफे वाली खेती कर सकते हैं.

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