केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला किया. साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के चुनावी घोषणापत्र में जिक्र किए गए अहम मसलों को लेकर उसके रुख पर सवाल उठाया हे. गौरतलब है कि गुरुवार को विधानसभा चुनाव से पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की. इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर में चुनाव पूर्व गठबंधन बनाने के फैसले की घोषणा कर दी.
शाह ने एक्स पर लिखा, 'कांग्रेस पार्टी, जिसने सत्ता के अपने लालच को शांत करने के लिए बार-बार देश की एकता और सुरक्षा को खतरे में डाला है, ने जम्मू और कश्मीर चुनावों में अब्दुल्ला परिवार की 'नेशनल कॉन्फ्रेंस' के साथ गठबंधन करके एक बार फिर अपने छिपे हुए इरादों को सबसे सामने ला दिया है.' साथ ही उन्होंने कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर दस तीखे सवाल उठाए. शाह ने पूछा, 'क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर के लिए अलग झंडे के नेशनल कॉन्फ्रेंस के वादे का समर्थन करती है?'
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नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से घोषणा पत्र में अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने का वादा किया गया है. शाह ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी इस कदम का समर्थन करती है? साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी का यह कदम क्षेत्र को 'अशांति और आतंकवाद के युग' में वापस धकेल देगा. साल 2019 में बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का एक ऐतिहासिक फैसला लिया था. उस फैसले को शाह ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता के लिए जरूरी बताया है.
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शाह ने पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के कांग्रेस-एनसी गठबंधन के रुख पर भी सवाल उठाया, जिसका अर्थ था कि इस तरह की बातचीत से क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा मिल सकता है. उन्होंने पूछा, 'क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पाकिस्तान के साथ 'एलओसी ट्रेड' शुरू करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करते हैं जिससे सीमा पार आतंकवाद और उसके तंत्र को बढ़ावा मिलेगा?' शाह ने कांग्रेस पर 'आरक्षण विरोधी रुख' रखने का आरोप लगाया.
साथ ही कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के वादों से दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण खत्म हो जाएगा. गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शंकराचार्य हिल और हरि हिल जैसे प्रमुख स्थानों के नाम बदलकर इस्लामी अर्थ वाले नाम रखने पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर सवाल उठाया.