Jhulsa Rog: बिहार में आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा, कृषि विभाग ने जारी की विशेष एडवाइजरी

Jhulsa Rog: बिहार में आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा, कृषि विभाग ने जारी की विशेष एडवाइजरी

बढ़ती ठंड में आलू में तेजी से फैलता है पिछात और अगात झुलसा रोग. वैज्ञानिकों के मुताबिक, समय पर फफूंदनाशी छिड़काव से बचा सकते हैं किसान अपनी फसल.

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अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Dec 17, 2025,
  • Updated Dec 17, 2025, 2:37 PM IST

बिहार में एक ओर जहां किसान गेहूं की बुवाई में लगे हुए हैं, वहीं राज्य में बढ़ती ठंड के बीच आलू की फसल में झुलसा रोग का खतरा बढ़ रहा है. कृषि विभाग की ओर से आलू में इस रोग के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए किसानों के लिए विशेष सलाह जारी की गई है. कृषि विभाग की ओर से बताया गया है कि झुलसा रोग को “चक्रवृद्धि ब्याज रोग” भी कहा जाता है. यह फफूंद से फैलने वाला एक विनाशकारी रोग है. पिछात झुलसा का संक्रमण बहुत तेजी से पूरी फसल में फैल जाता है.

झुलसा रोग दिखने पर किसान ये करें उपाय

कृषि विभाग की ओर से फसलों में लगने वाले रोगों को लेकर आए दिन अलग-अलग एडवाइजरी जारी की जाती रही है. इसी क्रम में विभाग की ओर से आलू में झुलसा रोग के प्रभाव को कम करने को लेकर विशेष सलाह जारी की गई है. इसमें बताया गया है कि पिछात और अगात झुलसा रोग के प्रबंधन के लिए खेत को साफ-सुथरा रखना बेहद जरूरी होता है. इसके साथ ही केवल स्वस्थ और रोगमुक्त बीज का ही उपयोग करें. वहीं रोग की आशंका होने पर 15 दिनों के अंतराल पर मैनकोज़ेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव किसानों को करना चाहिए.

आलू में झुलसा रोग का ऐसे करें उपचार

आरपीसीएयू पूसा के प्लांट पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर ईश प्रकाश बताते हैं कि अगर आलू की फसल में झुलसा रोग प्रकट हो जाए, तो मैनकोज़ेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी या कार्बेन्डाज़िम 12 प्रतिशत और मैनकोज़ेब 63 प्रतिशत डब्ल्यूपी या जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से प्रयोग करें. 

वहीं इनमें से किसी एक ही फफूंदनाशी का प्रयोग करना चाहिए. विशेष रूप से पिछात झुलसा के नियंत्रण के लिए मेटालैक्सिल-एम 4 प्रतिशत और मैनकोज़ेब 64 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव अधिक प्रभावी है. उन्होंने बताया कि सही मात्रा में फफूंदनाशकों का छिड़काव रोग की गंभीरता को कम करता है और कंद की उपज को अधिकतम करने में सहायक होता है.

आलू की फसल में दो तरह के झुलसा रोग

आलू का झुलसा रोग मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है— पिछात झुलसा और अगात झुलसा. पिछात झुलसा में पत्तियां किनारों और सिरों से सूखने लगती हैं और सूखे भाग को हाथ से रगड़ने पर खर-खर की आवाज सुनाई देती है. वहीं अगात झुलसा में पत्तियों पर भूरे रंग के संकेंद्रित, छल्लेनुमा गोल धब्बे दिखाई देते हैं. धब्बों के फैलने के साथ पत्तियां धीरे-धीरे झुलसकर नष्ट होने लगती हैं.

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