
भारतीय सेना दुनिया की उन सेनाओं में शुमार होती है जिन्हें सबसे प्रोफेशनल और ताकतवर माना जाता है. लेकिन इंडियन आर्मी की कुछ बातें ऐसी हैं जो उसे बाकियों से अलग बनाती हैं. इसी कुछ खास बातों की एक मिसाल पिछले दिनों तब नजर आई जब इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) की पासिंग आउट परेड थी. सेना की ताकत क्या है, इसका जीता-जागता उदाहरण बनीं आंगनबाड़ी में काम करने वाली महिला संत्रो देवी जिनके बेटे आज सेना में अफसर बन चुके हैं.
हरियाणा के जींद जिले के अलीपुर गांव की विधवा संत्रो देवी के बेटे लेफ्टिनेंट हरदीप गिल अब सेना में कमीशंड ऑफिसर हैं. शनिवार को देहरादून स्थित आईएमए में हुई पासिंग आउट परेड में उनकी मां ने उन्हें कंधे पर सितारों से नवाजा. मेजर जनरल (रिटायर्ड) यश मोर ने इस बारे में एक पोस्ट लिखकर जानकारी दी. उन्होंने लिखा, 'उनके पति 20 साल पहले गुजर गए थे और अपने पीछे तीन बेटियां और 2 साल का हरदीप छोड़ गए थे.'
संत्रो की जिंदगी मुश्किलों से भर गई थी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. संत्रो देवी एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील वर्कर के तौर पर बहुत कम सैलरी पर काम करती थीं. स्कूल के बाद, वह खेतों में मजदूरी करती थीं. गांव नरवाना के पास अलीपुर में उनकी जिंदगी बेहद मुश्किल थी. पोस्ट में आगे लिखा था, 'आज लेफ्टिनेंट हरदीप गिल IMA से कमीशन हुए हैं.' हरदीप ने गांव के स्कूल में पढ़ाई की और बाद में IGNOU से ग्रेजुएशन किया.' हरदीप भी आईएमए ज्वॉइन करने से पहले आखिरी दिन तक उन्हीं खेतों में मां का हाथ बंटाते थे. यश मोर ने लिख, 'हमारी सेना की असली ताकत ग्रामीण युवा हैं, वे कल के लीडर बनेंगे. जय हिंद.'
जब हरदीप गिल दो साल से भी कम उम्र के थे, तभी उनके पिता की मौत हो गई.उन्हें और उनकी तीन बहनों को पालने की पूरी जिम्मेदारी संत्रो देवी पर आ गई. मिड-डे मील वर्कर के तौर पर उनकी इनकम हर महीने लगभग 800 रुपये थी. साथ ही वे थोड़ी सी जमीन पर खेती करके भी कुछ कमा लेती थीं. हरदीप ने नौंवी बार SSB में सफलता हासिल की और ऑल-इंडिया मेरिट लिस्ट में 54वें नंबर पर आने के बाद 2024 में IMA जॉइन किया.' लेफ्टिनेंट हरदीप गिल को सिख लाइट इन्फेंट्री की 14वीं बटालियन में कमीशन मिला है. हरदीप के साथ ही यह उस मां की भी कामयाबी है जिसने तब भी हिम्मत नहीं हारी जब इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि उनकी मेहनत रंग लाएगी.
यह भी पढ़ें-