कभी राजनीति का गढ़ रहे भिवानी में अब बंसीलाल की राजनीति और विरासत को लेकर सियासत गर्म है. हरियाणा निर्माता और विकास पुरुष कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय चौधरी बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी और पोती श्रुति चौधरी इस बार विधानसभा चुनाव में तोशाम से आमने सामने हो सकते हैं. जिसे खुद कांग्रेस नेता कमल प्रधान सामाजिक बुराई बताते हुए पार्टियों, खापों और पंचायतों से भाई बहन के टकराव को टालना चाहते हैं. बता दें कि अनिरुद्ध चौधरी बंसीलाल के बड़े बेटे और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रहे रणबीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं और श्रुति चौधरी बंसीलाल के छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी की बेटी हैं.
बंसीलाल के बाद किरण चौधरी चार बार से तोशाम से कांग्रेस से विधायक रही हैं. अब वे बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं और बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में अब तोशाम से बीजेपी की टिकट पर श्रुति चौधरी के चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना हो चुकी है. वहीं यहां से कांग्रेस की टिकट पर अनिरुद्ध चौधरी टिकट मांग रहे हैं. ऐसे में हरियाणा की तोशाम से भाई बहन आमने सामने हो सकते हैं. इसी को लेकर हरियाणा Tak ने कांग्रेस नेता कमल प्रधान से ख़ास बातचीत की.
हरियाणा Tak से ख़ास बातचीत में कांग्रेस नेता कमल प्रधान ने कहा कि तोशाम में इस बार कांग्रेस की लहर है क्योंकि किसान, मज़दूर, व्यापारी, कर्मचारी और नौजवान सरकार से परेशान हैं. वहीं भाई-बहन के आमने सामने चुनाव लड़ने की आशंका पर उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो ये सामाजिक और राजनैतिक तौर पर अच्छी बात नहीं होगी. उन्होंने कहा कि मैं सभी पार्टियों, खापों और पंचायतों से अपील करूंगा कि इस टकराव को टालें. उन्होंने कहा कि हरियाणा निर्माता और विकास पुरुष बंसीलाल और सुरेद्र की आत्माएं दोनों भाई-बहनों के टकराव से दुखी होंगी.
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आगे कमल प्रधान बता रहे हैं कि अनिरुद्ध के पिता रणबीर महेंद्र ने बाढड़ा हलके में पैठ जमाई. अनिरुद्ध वहां से लड़ें या श्रुति दादरी, बाढड़ा या हरियाणा में कही से लड़ें, उनके पूरे हरियाणा में समर्थक हैं. उन्होंने तोशाम से खुद के चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस में तोशाम से मुझसे भी अच्छे कई उम्मीदवार हैं, पर मुझे मौक़ा दिया तो जीत दर्ज करूंगा. साथ ही कहा कि टिकट नहीं मिली तो भी लोगों की मदद के लिए हमेशा खड़ा मिलूंगा. उन्होंने बंसीलाल के गांव गोलागढ़ के लोगों से भी भाई-बहन के टकराव को टालने की पहल करने की अपील की. कमल प्रधान ने कहा कि एक बार लोकसभा में भी बंसीलाल के बेटे रणबीर महेंद्रा और सुरेंद्र आमने सामने थे, उससे समाज में ग़लत संदेश गया था.
अब आइए जान लेते हैं कि तोशाम सीट किस तरह की खेती-बाड़ी के लिए प्रसिद्ध है. वैसे तो यहां हर तरह की रबी और खरीफ फसल होती है. लेकिन रबी में गेहूं और खरीफ में कपास ही मुख्य फसल है. इसके अलावा यहां के किसान सरसों, बाजरा और टमाटर की खेती प्रमुखता से करते हैं और कमाई लेते हैं. पूरे तोशाम इलाके में किसान ज्यादा हैं क्योंकि यह पूरी तरह से ग्रामीण इलाका है. यहां के किसान कुछ अपने खर्च के लिए अनाज रखते हैं, बाकी का अधिकांश हिस्सा बेचकर वे कमाई करते हैं. यूं कहें कि यहां की खेती पूरी तरह से व्यावसायिक है, खासकर कपास की खेती. किसान कपास से अच्छी कमाई करते हैं.
खेती से कमाई होने की एक बड़ी वजह ये भी है क्योंकि तोशाम में इस इलाके की सबसे बड़ी अनाज मंडी है. इस मंडी में फल और सब्जियों की खरीद-बिक्री नहीं होती. बाकी हर तरह की फसल यहां खरीदी और बेची जाती है. किसान इस मंडी में कपास बेचकर अच्छी कमाई करते हैं. साथ ही, अनाजों से भी अच्छी आमदनी हो जाती है. तोशाम मंडी में दूर-दूर से किसान अपनी उपज बेचने आते हैं. यहां की मंडी व्यवस्था भी ठीक है और किसानों को अधिक इंतजार नहीं करना पड़ता. टमाटर को छोड़ दें तो इस मंडी में हर तरह की फसल बेची जाती है.
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तोशाम में सरकारी खनन का काम भी बड़े पैमाने पर होता है. यहां के कई इलाकों में पहाड़ है जहां आधिकारिक तौर पर खनन होता है. यहां खन्नक और डाडम गांव में बड़े पैमाने पर खनन का काम होता है. इसके लिए सरकारी तौर पर बोली लगती है और बोली जीतने वाला खनन का काम करता है. इससे भी यहां के लोगों को रोजगार मिलता है और कमाई बढ़ती है.
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