उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं के आतंक से किसान इन दिनों काफी परेशान हैं. गेहूं की फसल अब पूरी तरीके से तैयार है लेकिन पूर्वांचल से लेकर पश्चिमांचल तक किसान अपनी खड़ी फसल को बचाने के लिए रात में पहरा देने को मजबूर हैं. यहां तक कि मेरठ के रोहटा गांव के किसान तो खेतों में टेंट लगाकर दिन रात फसल की रखवाली कर रहे हैं. यही हाल पूर्वांचल के गाजीपुर, जौनपुर और आजमगढ़ का है जहां पर इन दिनों किसान आवारा पशुओं के आतंक से परेशान होकर लगातार प्रशासन से अपनी फसल को बचाने की गुहार लगा रहे हैं. जबकि सरकार द्वारा प्रदेश में 6000 से ज्यादा गौशाला संचालित की जा रही है जिनमें 10 लाख से अधिक अन्ना पशुओं का पालन पोषण हो रहा है.
गेहूं की फसल को लेकर किसान पहले अन्ना पशुओं से परेशान थे, तो वहीं अब जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ रहे तापमान से भी परेशान दिखाई दे रहे हैं. मेरठ के रोहटा गांव में किसान भूषण, बबलू, सोनू, शीशपाल अपने खेतों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए टेंट डालकर बारी-बारी से पहरा दे रहे हैं. सरकार गेहूं की फसल का एमएसपी रेट तो निर्धारित कर रही है, लेकिन फसल को बचाने के लिए प्रशासन किसी भी तरीके से सहयोग नहीं दे रहा है. ऐसा किसानों का आरोप है.
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पूर्वांचल के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में किसानों के लिए आवारा पशु मुसीबत बन चुके हैं. गाजीपुर के सादात के दौलत नगर के किसान संजय सिंह बताते हैं कि फसल बचाना उनके लिए अब मुसीबत बन चुकी है. खेत की बुवाई से लेकर फसल की कटाई तक कई चरण होते हैं. वहीं अन्ना पशुओं के चलते फसलों को भारी नुकसान हो रहा है जिससे लागत बढ़ रही है. सरकार की तरफ से अन्ना पशुओं को पकड़ने का कोई भी अभियान सफल नहीं हो रहा है.
किसान संजय सिंह कहते हैं, रात में अन्ना पशु झुंड में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. वही किसान रामप्रकाश ने कहा कि सरकार छुट्टा मवेशियों के लिए की जाने वाली व्यवस्थाएं धरातल पर नहीं उतार रही है. रात भर फसलों की रखवाली करने के लिए जागना पड़ता है. प्रशासन को कई बार इसकी शिकायत भी की गई है, लेकिन समस्या से छुटकारा आज तक नहीं मिल सका है. गेहूं ही नहीं बल्कि चना, मटर, सरसों की फसल भी निराश्रित पशुओं के द्वारा नुकसान हो रही है.