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दुनिया की दो बड़ी एजेंसियों का अनुमान- भारत में इस बार बंपर होगी रबी फसलों की पैदावार

दुनिया की दो बड़ी एजेंसियों का अनुमान- भारत में इस बार बंपर होगी रबी फसलों की पैदावार

खरीफ सीजन में कम बारिश होने से धान (चावल) के उत्पादन में कमी आई थी जिससे पूरी दुनिया में चावल की सप्लाई पर असर देखा गया. लेकिन इस बार रबी फसलों की बेहतर पैदावार होने से महंगाई कम रहेगी. कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत में इस साल चावल उत्पादन का अनुमान 130.84 मिलियन टन रहने की संभावना है.

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इस साल बंपर होगी गेहूं की पैदावार इस साल बंपर होगी गेहूं की पैदावार

दुनिया की दो बड़ी एजेंसियों ने भारत में अनाज और तिलहन उत्पादन का बेहतर अनुमान जताया है. एजेंसियों का कहना है कि इस साल रबी का उत्पादन अच्छा होगा जो पिछले साल के खरीफ के नुकसान की भरपाई कर देगा. इससे आने वाले समय में महंगाई को कम करने में भी मदद मिलेगी. अनाज और तिलहन उत्पादन के अनुमान में गेहूं, मक्का, चावल और सोयाबीन को शामिल किया गया है. इन दो एजेंसियों में संयुक्त राष्ट्र का फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (FAO) और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के नाम हैं.

दोनों एजेंसियों ने अभी हाल में अपने अनुमान (आउटलुक) को अपग्रेड करते हुए कहा है कि गेहूं और मक्का का उत्पादन बेहतर होगा जिससे महंगाई कम होगी. दोनों एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल रबी उत्पादन की संभावना काफी बेहतर बनी हुई है. एफएओ ने भारत में गेहूं के उत्पादन को संतोषजनक बताया है जबकि यूएसडीए ने गेहूं के उत्पादन को अनुमान से अधिक रहने की संभावना जताई है. 

खरीफ सीजन में कम बारिश होने से धान (चावल) के उत्पादन में कमी आई थी जिससे पूरी दुनिया में चावल की सप्लाई पर असर देखा गया. लेकिन इस बार रबी फसलों की बेहतर पैदावार होने से महंगाई कम रहेगी. कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत में इस साल चावल उत्पादन का अनुमान 130.84 मिलियन टन रहने की संभावना है जबकि पिछले साल की तुलना में इस बार खरीफ उत्पादन दो मिलियन टन कम होकर 108.07 मिलियन टन रहने की संभावना है. पिछले साल चावल का उत्पादन 111 मिलियन टन रहा था.

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अमेरिकी खाद्य एजेंसी यूएसडीए ने भारत में चावल उत्पादन का अनुमान 132 मिलियन टन रहने की संभावना जताई है. यह अनुमान सितंबर 2022 से अगस्त 2023 का है. यह अनुमान पिछले साल से दो फीसद अधिक है. यूएसडीए की रिपोर्ट कहती है, इस बार गेहूं की बुआई रिकॉर्ड 47 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है जो पिछले साल से दो फीसद अधिक है. 2021 की तुलना में इस बार उत्पादन भी अधिक रहेगा और अनुमान के मुताबिक प्रति हेक्टेयर 4.21 टन पैदावार मिलने की संभावना है.

कुल मिलाकर पिछले साल चालव का उत्पदान घटने से किसानों और सरकारी स्टॉक पर जो दबाव बढ़ा था, इस बार रबी की बेहतर पैदावार उसकी भरपाई कर देगी. रबी धान की रोपाई और बढ़वार पिछले साल से अच्छा है. धान रोपाई का रकबा भी बढ़ा हुआ है. रबके में सबसे अधिक बढ़ोतरी तेलंगाना (125 परसेंट) और पश्चिम बंगाल (32 परसेंट) में देखी गई है. इन दोनों राज्यों में पिछले साल से अधिक धान की खेती की गई है.

यूएसडीए की रिपोर्ट के हवाले से 'बिजनेसलाइन' ने लिखा है, भारत में अक्टूबर में अधिकतर रबी फसलों की बुआई कर दी गई थी जिस वक्त मिट्टी में अच्छी नमी मौजूद थी. उस वक्त खाद की उपलब्धता भी ठीक रही. फसलों को अच्छी सिंचाई मिली. देश के जलाशय अक्टूबर अंत तक 80 फीसद तक भरे हुए थे, इससे सिंचाई की समस्या भी दूर हो गई. 

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पिछले साल मार्च-अप्रैल में अचानक लू चलने और गर्मी बढ़ने से गेहूं के उत्पदान में कमी आई. इससे सरकारी स्टॉक में भी गिरावट आई. इस साल भी फरवरी में तापमान में थोड़ी वृद्धि देखी गई जिससे गेहूं उत्पादन गिरने की आशंका जताई गई है. हालांकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने इस आशंका को खारिज किया है. आईएमडी का कहना है कि फरवरी-मार्च का तापमान गेहूं की फसल के लिए उपयुक्त है और इससे पैदावार पर कोई असर नहीं होगा.

यूएसडीए ने भारत के कृषि मंत्रालय के अनुमान को आधार बनाते हुए मक्के का रिकॉर्ड उत्पादन होने की संभावना जताई है. अमेरिकी एजेंसी के मुताबिक इस साल भारत में 34.6 मिलियन टन मक्के की पैदावार होगी. पिछले साल की तुलना में इस बार एक फीसद अधिक रकबे में मक्के की खेती हुई है और यह क्षेत्रफल 10.1 मिलियन हेक्टेयर है. पिछले साल मक्के का दाम बढ़ने से किसानों ने इस साल बंपर खेती की है. अनुमान के मुताबिक, इस साल पिछले वर्ष की तुलना में प्रति हेक्टेयर एक परसेंट अधिक पैदावार होगी और यह 3.43 टन प्रति हेक्टेयर तक जाने की संभावना है.