‘आज खेती और पशुपालन में जोखिम बढ़ गया है. इसके पीछे कई वजह हैं. अगर हमे किसान और पशुपालक को सुरक्षा देनी है तो कुछ गारंटी पर काम करना होगा. जैसे किसान और पशुपालक को अगर हेल्दी मिट्टी और अच्छा पानी मिल जाए. जरूरी सामान वक्त पर मिल जाए. खेती और पशुपालन से संबंधित अच्छी और टेक्निकल जानकारी मिल जाए. कम ब्याज रेट वाले लोन मिल जाएं. अच्छे रेट देने वाले बाजार हों और साथ ही किसान हो या पशुपालक उसका सम्मान हो.’ ये कहना है पदमश्री और एग्रीकल्चर एकसपर्ट डॉ. आरएस परोदा का. इस दौरान डॉ. परोदा ने भारत में हरित, श्वेत, नीली और इंद्रधनुष क्रांतियों के पॉजिटिव पहलूओं पर चर्चा की.
गौरतलब रहे भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आईएयूए) के बैनर तले गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना में वाइस चांसलर का सम्मेलन आयोजित किया गया है. इस सम्मेलन में भारतीय कृषि, बागवानी, पशुपालन और मछली पालन से जुड़े छह खास विषयों पर फूड सिक्योरिटी, जलवायु परिवर्तन और किसान कल्यालण के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर चर्चा की जा रही है.
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उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा), आईसीएआर, नई दिल्ली डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने कहा कि कृषि में हाई एजुकेशन हासिल करने का चलन बढ़ रहा है. इतना ही नहीं भारत में ज्यादातर स्टार्टअप कृषि और पशुधन सेक्टर से जुड़े हुए हैं. डॉ. अग्रवाल ने कृषि शिक्षा में डिजिटल पहल की जरूरत पर भी जोर दिया. वहीं अध्यक्ष, आईएयूए और वाइस चांसलर, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय डॉ.रामेश्वर सिंह ने विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों और दूसरे राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट को महत्व देने के मामलों में आईएयूए की भूमिका का जिक्र किया. उन्होंने यह भी बताया कि कृषि और पशुधन क्षेत्रों में कई चुनौतियां हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, विपणन श्रृंखला में बाधा और युवाओं का खेती से मोहभंग शामिल है.
इस मौके पर गडवासु के वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह ने सम्मेलन के महत्व पर रोशनी डालते हुए बताया कि यह सम्मेलन हमारे देश के कृषि और पशुधन पालक समुदायों के विकास के लिए सिफारिशों और नीतियों का मसौदा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा. वहीं चावल क्रांति के जनक और विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित डॉ. जी.एस. खुश ने अपने संबोधन में कहा कि हमें विश्व स्तरीय संस्थानों को विकसित करने के लिए उच्च नेतृत्व गुणों और नैतिकता वाले प्रोफेशन की भर्ती करनी चाहिए.
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सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. एस.पी.एस घुमन ने बताया कि वैज्ञानिकों, पेशेवर और दूसरे एक्सपर्ट ने सम्मेचलन के दौरान "मानव संसाधन और बुनियादी ढांचा", "जलवायु स्मार्ट खाद्य प्रणाली" और "किसान-उद्यमी-वैज्ञानिक इंटरफ़ेस" विषयों के साथ तीन तकनीकी सत्रों में अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने यह भी बताया कि सम्मेलन के अगले दो दिन 18 और 19 मार्च, 2024 को 'जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए जैव विविधता और राष्ट्रीय संसाधन संरक्षण' और 'शून्य अपशिष्ट की ओर' जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी.