भारत दूध उत्पादन में नंबर एक स्थान पर है. विश्व दूध उत्पादन का 26 प्रतिशत हिस्सा भारत में होता है. दूध की अर्थव्यवस्था आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है. अकेले दूध का भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब चार फीसद का योगदान है. ये कहना है इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) (साउथ जोन) के अध्यक्ष डॉ. सतीश कुलकर्णी और केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य और डोडला डेयरी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीके रेड्डी का. उनका कहना है कि देश में दूध उत्पादन पांच फीसद की दर से बढ़ रहा है, जबकि विश्वस्तर पर ये दर 1.5 फीसद है.
भारतीय अर्थव्यवस्था में इसके बड़े योगदान के बावजूद डेयरी प्रोडक्ट के लिए कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का सिस्टम नहीं है. सतीश कुलकर्णी का कहना है कि डेयरी अर्थव्यवस्था बाजार संगठित है. डेयरी के विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना सरकार को ही फायदा पहुंचाएगा.
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डॉ. सतीश कुलकर्णी का कहना है कि विश्व की मवेशी आबादी का करीब 15 फीसद मवेशी भारत में है. इतना ही नहीं विश्व में भैंसों की कुल आबादी की 60 फीसद भैंस भारत में पाली जाती हैं. अगर कुल पशुओं की भी बात करें तो सबसे ज्यादा भारत में ही हैं. ये ही वजह है कि बीते साल भारत में दूध का उत्पादन 230.58 मिलियन टन हुआ है.
इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत आने वाले कई साल तक दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना रहेगा. दक्षिणी भारत भी भारतीय डेयरी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है. कुल दूध उत्पादन का करीब 50 फीसद उत्पाीदन दक्षिण भारत के राज्यों में होता है. अगर आंध्र प्रदेश की बात करें तो दूध उत्पादन में इसका योगदान करीब आठ फीसद है.
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इंडियन डेयरी एसोसिएशन में केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य बीवीके रेड्डी का कहना है कि डेयरी प्रबंधन में करीब 70 फीसद श्रम का योगदान महिलाओं का है. वहीं करीब 80 मिलियन किसान अपनी आजीविका के लिए आज भी डेयरी सेक्टर पर निर्भर हैं. शायद यही वजह है कि खेती के साथ-साथ डेयरी भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है. गौरतलब रहे साल 1948 में आईडीए की शुरुआत हुई थी. इस साल आईडीए अपने समारोह का स्वर्ण जयंती संस्करण का आयोजन कर रहा है.
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