‘भारत लगातार दूध उत्पादन में आगे बढ़ रहा है. उम्मीद है कि भारत में दूध उत्पादन इसी तरह से आगे बढ़ता रहेगा. लेकिन ज्यादा से ज्यादा दूध इस्तेमाल के लिए जरूरी है कि दूध और उससे बने आइटम की खपत भी बढ़ाई जाए. इसके लिए सबसे बेहतर प्रोडक्ट है घी. हमे घी पर काम करने की जरूरत है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारतीय घी का सबसे बड़ा खरीदार है. अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द ही ब्रिटेन भी भारतीय घी खरीदारों की लिस्ट में शामिल हो सकता है. इसके लिए ब्रिटेन और भारतीय अधिकारियों के बीच बातचीत चल रही है. भारतीय घी की बहुत डिमांड है.
हमारा घी एक आयुर्वेद प्रोडक्ट है. इससे हमारी त्वचा अच्छी होती है, दिमाग भी अच्छा होता है. लेकिन हमे ये बात दूसरे देशों को बतानी होंगी. जब इटली ऑलिव आयल के लिए और स्विट्जरलैंड चॉकलेट के लिए अपनी पहचान बना सकता है तो भारत भी घी में विश्व स्तर पर अपनी पहचान कायम कर सकता है.’
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ये कहना है इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी का. किसान तक से बात करते हुए उन्होंने बताया कि आज कुछ स्तर पर पशुपालन और डेयरी सेक्ट र में काम करने की कुछ जरूरत है. खासतौर पर पशुओं की कुछ खास बड़ी बीमारियों को लेकर.
ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है. गौरतलब रहे ब्रिटेन ने अपने सेनेटरी और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) नियम के तहत भारतीय डेयरी प्रोडक्ट पर रोक लगा रखी है. इसी प्रतिबंध को हटवाने के लिए भारतीय अधिकारी बात कर रहे हैं. इसके बाद जहां भारतीय घी के लिए ब्रिटेन में बाजार खुलेगा तो ब्रिटेन अपना ब्ल्यू चीज भारत के बाजारों में बेच सकेगा.
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डॉ. आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि देश में घी का कारोबार करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है. ये आंकड़ा भी इस कारोबार में शामिल सिर्फ बड़े ब्रांड का है. लोकल लेवल पर और छोटे प्लेकयर का काम भी कम छोटा नहीं है. 50 हजार करोड़ में से 1500 करोड़ रुपये का घी एक्स पोर्ट हो जाता है. लेकिन अगर हम घी के मामले में बाजार की कुछ नई स्ट्रेपटेजी बनाने में कामयाब हो जाएं तो ये कारोबार दोगुना भी हो सकता है.
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