देश में सब्जी-अनाज की डिमांड घट रही है. जबकि अंडे-मछली और मीट की डिमांड में इजाफा हो रहा है. ये कहना है केन्द्र सरकार का. संसद में उठे एक सवाल के जवाब में खुद सरकार ने इससे संबंधित आंकड़े भी पेश किए हैं. सरकार ने जो आंकड़े पेश किए हैं उसके मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान घट रहा है और पशुपालन से जुड़े प्रोडक्ट का योगदान बढ़ रहा है. गौरतलब रहे देश में लगातार अंडे-मछली और मीट का उत्पादन बढ़ रहा है. एक्सपर्ट की मानें तो पोल्ट्री सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर बन गया है.
वहीं मीट उत्पादन भी तेजी से बढ़ रहा है. जबकि मछली का उत्पादन करीब 174 लाख टन पर पहुंच गया है. कोरोना के बाद से इसमे और तेजी देखी जा रही है. हाल ही में लोकसभा में एक सांसद वाईएस अविनाश रेड्डी ने पशुधन उत्पाद की डिमांड का मामला उठाया था. इसी के संबंध में सरकार ने नीति आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आंकड़े पेश किए हैं.
ये भी पढ़ें: Silage Fodder: साइलेज और हे बनाकर डबल मुनाफा कमा रहे हैं पशुपालक, आप भी जानें तरीका
केन्द्र सरकार ने लोकसभा में अंडे-मछली और मीट की डिमांड बढ़ने के जो आंकड़े सामने रखे हैं उसके मुताबिक साल 2011-12 के मुकाबले साल 2021-22 में मछली की डिमांड 33 फीसद बढ़ी है. जबकि अंडे की डिमांड में 47 फीसद का इजाफा हुआ है. वहीं सभी तरह के मीट की बात करें तो उसकी डिमांड 31 फीसद बढ़ी है. इस आंकड़े को सरकार ने अनुमान के तौर पर बताया है. गौरतलब रहे भारत बफैलो मीट एक्सपोर्ट के मामले में टॉप पर है. जबकि पोल्ट्री सेक्टर की बात करें तो विश्व अंडा उत्पादन में भारत तीसरे तो चिकन उत्पादन के मामले में आठवें स्थान पर है.
बीते साल ही देश में 14 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ था. जबकि मीट की बात करें तो करीब एक करोड़ टन मीट का उत्पादन हुआ था. इसमे चिकन की हिस्सेदारी करीब 50 लाख टन थी. वहीं मछली का उत्पादन 174 लाख टन पर पहुंच गया है. वहीं झींगा भी 10 लाख टन को पार कर चुका है.
ये भी पढ़ें: Lumpy Virus: इस मौसम में गायों को लंपी वायरस से बचाना जरूरी, पशुपालक पढ़ लें ये उपाय
ब्रॉयलर पोल्ट्री फार्म में चिकन के लिए मुर्गों को तैयार किया जाता है. पशुपालन मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि बीते साल के मुकाबले 25 करोड़ मुर्गों को प्रोडक्शन बढ़ गया है. रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021-22 में 306 करोड़ मुर्गों का चिकन खाया गया था. इस चिकन की मात्रा 48 लाख टन थी. जबकि साल 2022-23 में 331 करोड़ मुर्गों का 50 लाख टन चिकन खाया गया है. चिकन का प्रोडक्शन बढ़ने के पीछे पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा ने बताया, ‘सभी तरह के मीट में चिकन सबसे सस्ता आइटम है. इसमे किसी दूसरे मीट की मिलावट भी नहीं हो सकती है. तीसरी सबसे बड़ी बात ये कि चिकन में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है.’