साल के 12 महीने तालाब में मछली पालन किया जा सकता है. बाजार की डिमांड के हिसाब से मछली पालन किया जाए तो अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो अगर तालाब के मछली पालन में कुछ खास 15 काम कर लिए जाएं तो ये मुनाफा और भी बड़ा हो सकता है. क्योंकि आज देश का ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां मछलियों की डिमांड ना हो. आज नदी, समुद्र, तालाब और दूसरे तरीकों समेत करीब 170 लाख टन मछली का उत्पादन होता है.
इस आंकड़े में बड़ा हिस्सा तालाब में होने वाली मछलियों का है. एक्सपर्ट के बताए ये सभी टिप्स भी तालाब और मछलियों के रखरखाव से जुड़े हुए हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि तालाब में मछली पालन के दौरान नजर रखना बहुत जरूरी है. तालाब के पानी से लेकर मछलियों के खानपान का खास ख्याल रखने पर ही उनकी अच्छी ग्रोथ होती है.
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तालाब और मछलियों का ऐसे रखें खास ख्याल
- नर्सरी (बीज) तालाब निचली भूमि में बनाना अच्छा रहता है.
- नर्सरी तालाब के किनारे तिरछे हों तो पानी ज्यादा रुकता है और हवा भी अच्छी आती है.
- नर्सरी तालाब में स्पॉन (बीज) डालने से तीन दिन पहले एक लीटर तेल या साबुन का इस्तेमाल करें.
- स्पॉन के जीरा साइज बनने तक तालाब में तेल या साबुन का घोल हर तीन दिन बाद छिड़कते रहें.
- स्पॉन का मुंह बहुत कम खुलता है, इसलिए खाने में बहुत ही बारीक पाउडर दें.
- स्पॉन के लिए खाने में राईस ब्रान का चलनी से चला हुआ सत्तु फायदेमन्द रहता है.
- स्पॉन को मापने के लिए स्पॉन कूप का इस्तेमाल करें.
- स्पॉन कूप से मापकर स्पॉन को बेचा जाता और तालाब में डालते हैं.
- कॉमन कार्प तालाब के रुके हुए पानी में ग्रोथ करती हैं.
- कॉमन कार्प अंडा तभी देती हैं जब वहां कुछ चिपकने वाली चीज मौजूद हो.
- तालाब में जलकुंभी के पौधे रख देने से कॉमन कार्प का अंडा जलकुंभी के पत्ते से चिपक जाता है.
- जितना स्पॉन का वजन है उसका दो 2 फीसद ही उसे खाने को दें.
- एक लाख स्पॉन को चार ग्राम फीड की जरूरत होती है.
- झींगा का अंडा 20-25 दिन तक नमकीन पानी में ही जिंदा रह सकता है.
- 20-25 दिन बाद झींगा के अंडे में मीठा पानी छोड़ देना चाहिए.
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