महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में पिछले कई दिनों से बारिश का दौर जारी है. जहां आम आदमी तो बारिश से परेशान है ही तो वहीं किसानों को यहां लाखों करोड़ों का नुकसान हुआ है. यहां के धाराशिव जिले के डेयरी किसान श्रीराम डाटखिले के लिए मराठवाड़ा में आई बाढ़ ने उनका घर और आजीविका दोनों छीन लिए हैं. अब उनके पास कुछ भी बचा नहीं है.श्रीराम की आंखों के सामने देखते ही देखते उनका सबकुछ उजड़ गया और वह कुछ कर भी नहीं सके.
55 साल के श्रीराम डाटखिले और आठ सदस्यों वाला उनका परिवार धाराशिव की भुम तहसील के तेलगांव पिंपलगांव गांव में डेयरी का काम करता था. हर महीने दूध बेचकर उन्हें 3.5 लाख रुपये की आमदनी होती थी. 23 सितंबर को धाराशिव जिले में हुई भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ ने परिवार की किस्मत रातों-रात उजाड़ दी. पिछले हफ्ते आई बाढ़ में डाटखिले ने 37 गायें और 20 बकरियां गंवा दी है.
डाटखिले के बेटे प्रवीण ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, '23 सितंबर की रात हम सो रहे थे, तभी अचानक बंगंगा नदी का पानी गांव में घुस आया. हमारे पास खुद को बचाने के लिए मुश्किल से सात-आठ मिनट ही थे. हम केवल दो जानवरों को ही बचा पाए. मिनटों में हमारा सबकुछ चला गया. उन्होंने बताया कि परिवार ने डेयरी बिजनेस की शुरुआत केवल कुछ मवेशियों से की थी और धीरे-धीरे उनकी डेयरी में 40 गायें और 20 बकरियां हो गई थीं. 26 साल के प्रवीण ने बताया, 'हमारी डेयरी की हर गाय की कीमत करीब 1.25 लाख रुपये थी. बकरियों और शेड समेत हमारा नुकसान 60 लाख रुपये हुआ है. मेरा परिवार हर महीने 3.5 लाख रुपये का दूध बेचता था जिसमें करीब 40 प्रतिशत का मुनाफा होता था.'
उन्होंने कहा कि परिवार अब किसी परिचित के खेत में बनाए गए प्याज के शेड में रह रहा है. प्रवीण ने यह भी बताया कि बाढ़ में उनके परिवार के अमरूद के बाग को भी नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि फसल और मवेशी नुकसान का सर्वे पूरा हो गया है. हालांकि, NDRF के नियमों के अनुसार सिर्फ तीन मवेशियों तक ही मुआवजा दिया जा सकता है और वह भी हर जानवर के लिए 37,500 रुपये ही मुआवजा दिया जा सकता है.
इस बीच, किसानों के लिए काम करने वाले एक NGO ने कहा कि उसकी हेल्पलाइन शिवआर में बाढ़ प्रभावित किसानों, विशेषकर बारिश से बुरी तरह प्रभावित मराठवाड़ा क्षेत्र के किसानों के डिस्ट्रेस कॉल्स की बाढ़ आ गई है. हेल्पलाइन के फाउंडर विनायक हेगाना ने बताया कि किसानों में आम चिंता यह है कि सरकारी सहायता उनके नुकसान को पूरा नहीं कर पाएगी. उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह ही इस हेल्पलाइन को शुरू किया गयस है और तब से अब तक 274 कॉल्स आ चुकी हैं. कॉल करने वालों में से 83 किसानों ने आत्महत्या जैसे ख्याल जाहिर किए हैं.
हेगाना ने बताया कि लातूर में एक किसान की 5.5 एकड़ जमीन पानी में डूब गई और उर्वरक के थैले भी गीले हो गए. उन्होंने कहा कि एक निजी साहूकार किसान से 40 लाख रुपये की मांग कर रहा है, जिसमें 20 लाख रुपये उसके दिवंगत पिता द्वारा लिए गए थे. हेगाना ने बताया, 'किसान ने हमें बताया कि वह आत्महत्या करने पर विचार कर रहा था और सरकार से तुरंत फसल ऋण माफ करने की मांग की.' नांदेड़ में पिछले महीने एक किसान ने बाढ़ में 40 भैंसें और 15 गायें खो दीं, जिससे उसका डेयरी व्यवसाय बर्बाद हो गया. हेगाना ने कहा, 'किसान ने कहा कि मुआवजा अपर्याप्त है और वह आत्महत्या करने का विचार कर रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि किसान यह दावा कर रहे हैं कि मवेशियों को ‘लम्पी स्किन डिजीज’ के कारण बीमा नहीं कराया जा रहा है.
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