Cow-Buffalo Care in Winter अक्टूबर से लेकर फरवरी तक दूध देने वालीं गाय-भैंस हो या मीट के लिए पाली जाने वालीं भेड़-बकरी. क्योंकि इस दौरान ठंड लगने के चलते इनके बीमार होने की आशंका बनी रहती है. कई बार तो ठंड की चपेट में आने से मौत भी हो जाती है. इसके साथ ही मौसम के चलते जब पशु तनाव में आता है तो उसका उत्पादन भी घट जाता है. दूध की मात्रा घट जाती है. ये मौसम पशुओं की परेशानी को इस तरह भी बढ़ा देता है कि दिसम्बर-जनवरी के महीने में ही पशु हीट में ज्यादा आता है.
लेकिन एनिमल एक्सपर्ट के बताए कुछ टिप्स को अपनाकर पशुपालक आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं. इसके साथ ही पशुपालन विभाग की ओर से आने वाली मौसम की एडवाइजरी का पालन भी किया जा सकता है. मौसम के हिसाब से लगने वाली वैक्सीन के बारे में भी जानकारी करते रहना चाहिए. अगर ऐसा किया तो फिर पशुपालकों को अपनी 80 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक वाली भैंस का जोखिम नहीं उठाना पड़ेगा.
सर्दी शुरू होते करें ये खास काम
- दिन और रात के मौसम का अपडेट लेते रहें.
- पशुओं को शीत लहर से बचाने के सभी इंतजाम कर लें.
- रात के वक्त बाड़े को तिरपाल से अच्छी तरह ढककर रखें.
- पशुओं के नीचे फर्श पर पुआल आदि बिछा दें.
- पशु शेड को बाहरी कीड़ों से बचाने के लिए दवाई का छिड़काव करें.
- बाड़े में रोशनी रखें और जगह को गर्म रखने का इंतजाम कर लें.
- पशुओं को सूखी जगह पर ही बांधे.
- पशुओं को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाने के साथ ही जरूरी टीके लगवा दें.
- मक्खी-मच्छर से बचाने के लिए बाड़े में लैमनग्रास और नारगुण्डी को टांग दें.
- मक्खी-मच्छर से बचाने के लिए नीम तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
जरूरी है पशुओं की ऊर्जा बनाए रखना
- पशुओं को मोटे कपड़े और बोरी आदि से ढककर रखें.
- पशुओं को गर्म रखने के लिए खली और गुड़ खिलाएं.
- पशुओं को दिन में तीन से चार बार हल्का गर्म पानी पिलाएं.
- किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण देखते ही पशु को डॉक्टार को दिखाएं.
- बीमार, कमजोर और गाभिन पशु का खास ख्याल रखें.
- मृत पशु के शव का निस्तारण आबादी और तालाब आदि से दूर करें.
- आग लगने में सहायक वस्तुओं को पशु के बाड़े से दूर रखें.
- पशु के नए बाड़े का निर्माण मौसम के हिसाब से ही कराएं.
सर्दी के मौसम में पशुओं के साथ क्या ना करें-
- सर्दियों के मौसम में पशुओं को खुला ना छोड़ें.
- सर्दी के मौसम में पशु मेलों का आयोजन नहीं करना चाहिए.
- ठंडा चारा और पानी पशुओं को नहीं देना चाहिए.
- नमी और धुंए वाली जगह पर पशुओं को नहीं रखना चाहिए.
- इससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है.
- बीमार होने पर पशु को सिर्फ डॉक्टर को ही दिखाएं.
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