
पिज़्ज़ा, पास्ता और स्नैक्स में चीज़ का इस्तेमाल आज हर घर में आम हो चुका है. भारत में चीज़ का बाज़ार हर साल लगभग 20% की तेजी से बढ़ रहा है. इसके बावजूद, पंजाब में अब तक एक भी बड़ा चीज़ बनाने वाला यूनिट नहीं था. ज़्यादातर उत्पादन दिल्ली और दक्षिण भारत में होता है. इसी कमी को देखते हुए लुधियाना स्थित गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज़ यूनिवर्सिटी (GADVASU) ने एक अनोखी पहल की है-बकरी के दूध से बनने वाले गोअट चीज़ (chèvre) का निर्माण शुरू कर, पंजाब को नए उद्योग की ओर बढ़ाया है.
GADVASU के कॉलेज ऑफ डेयरी एंड फूड साइंस टेक्नोलॉजी में चीज़ बनाने की कला को वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से विकसित किया जा रहा है. यहां पर मोज़ेरेला, बोकनचिनी, फेटा, रिकोट्टा, मेनौरी और व्हे चीज़ स्प्रेड जैसे कई प्रकार के चीज़ बनाए जा रहे हैं. इन सबके बीच, सबसे खास है chèvre, जो बकरी के दूध से तैयार किया जाता है. वैज्ञानिक और क्रिएटिव तरीकों के मेल से यहां ऐसा चीज़ बनाया जा रहा है जो गुणवत्ता और स्वाद दोनों में बेहतरीन है.
GADVASU की डॉ. इंदरप्रीत कौर बताती हैं कि उनके सर्वे में सामने आया कि पंजाब में एक भी समर्पित चीज़ निर्माण यूनिट मौजूद नहीं है. चीज़ की बढ़ती मांग और पंजाब के किसान समुदाय की संभावनाओं को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने किसानों, प्रोसेसरों, रिटेलरों और स्टार्टअप्स को जोड़कर एक खुली चर्चा आयोजित की. इस चर्चा का उद्देश्य था-पंजाब को उभरते हुए 98 बिलियन डॉलर के वैश्विक चीज़ बाज़ार में जगह दिलाना.
पंजाब में पहली बार बकरी पनीर की मार्केटिंग के लिए GADVASU और ग्रीन पॉकेट्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक एग्रीमेंट साइन हुआ है. इस पार्टनरशिप के तहत, यूनिवर्सिटी एक साल के लिए टेक्निकल ट्रेनिंग, प्रोडक्शन की जानकारी, एक्सपर्ट सलाह और इनक्यूबेशन सपोर्ट देगी. कंपनी पैकेजिंग और मार्केटिंग का काम संभालेगी. यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर डॉ. जे.पी.एस. गिल के अनुसार, बकरी पनीर की देश और विदेश में बहुत ज़्यादा डिमांड है और इससे किसानों और पशुपालकों के लिए नए मौके खुल सकते हैं.
GADVASU के डॉ. आर.एस. ग्रेवाल बताते हैं कि भारत में बकरी पालन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया है, भले ही बकरी के दूध से बना पनीर इंटरनेशनल मार्केट में रेगुलर पनीर से तीन गुना ज़्यादा कीमत पर मिलता है. इसलिए, बकरी के दूध से बने वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट किसानों और बकरी पालकों की इनकम बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. भारत में पनीर की तेज़ी से बढ़ती मांग बकरी पालन को आर्थिक रूप से फ़ायदेमंद बनाने का एक बड़ा मौका देती है.
डॉ. नितिका गोयल के अनुसार, बकरी के दूध से बना चीज़ न सिर्फ स्वाद में अलग है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहतर माना जाता है. यह आसानी से पच जाता है, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होता है और इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स पेट के लिए फायदेमंद होते हैं. इस वजह से यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक विकल्प बन सकता है.
लुधियाना के कई रेस्टोरेंट, कैफ़े और स्टोर पहले ही GADVASU के चीज़ का उपयोग कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी के अपने डेयरी आउटलेट पर भी ये उत्पाद उपलब्ध हैं. जैसे-जैसे chèvre यानी गोअट चीज़ बाजार में पहुंचेगा, पंजाब के किसान और बकरी पालक भी इस नए और उभरते उद्योग का हिस्सा बन सकेंगे.
बकरी के दूध से बनने वाले चीज़ की यह पहल पंजाब के कृषि और पशुपालन क्षेत्र के लिए नई दिशा का संकेत है. यह सिर्फ एक खाद्य नवाचार नहीं, बल्कि किसानों और पशुपालकों के लिए बढ़ी हुई आय, नए रोजगार और बेहतर आर्थिक स्थितियों की ओर बढ़ता कदम है. आने वाले समय में पंजाब भारत के चीज़ उद्योग में अपनी मजबूत पहचान बना सकता है.
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