
मछली पकड़ने के लिए गहरे समुद्र में जाने पर मछुआरे अब फंसते नहीं हैं. किसी भी तरह का खतरा होने पर टू वे कम्यूनिकेशन सिस्टम की मदद लेते हैं. पकड़ने के बाद किनारे तक आते-आते मछलियां अब खराब भी नहीं होती हैं. मछलियां पकड़ने वाली बोट भी हाईटेक बनाई गई हैं. समुद्र से किनारे तक मछली लाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो सके इसका ट्रॉयल चल रहा है. तालाब में पाली जाने वाली मछलियों की बीमारियों को अब वक्त से पहले समझ लिया जाता है. तालाब से दूर बैठकर पानी और ऑक्सीजन की जांच होती रहती है. यही वजह है कि बीते 11 साल में 100 टन मछली उत्पादन बढ़ गया है. और ये सब मुमकिन हुआ है एक योजना से. अगर योजना जमीनी परेशानी से जुड़ी हो तो फिर उसका कामयाब होना तय माना जाता है.
ऐसा ही कुछ किया है प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) ने. मछली पालन और मछली पकड़ने से जुड़ी देश की अब तक की ये सबसे बड़ी योजना मानी जाती है. इसका बजट कुल बजट 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का था. इस योजना की कामयाबी को देखते हुए इसी की एक उपयोजना शुरू की गई है. ये इस योजना की बदौलत ही है कि अब मछुआरों के मछली पकड़ने वाले जाल का भी बीमा होता है. पैसे की कमी न हो इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाते हैं.
साल 1950 से लेकर 2025-26 में मछली उत्पादन में करीब 25 गुना से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. सिर्फ 11 साल में भारत का सालाना मछली उत्पादन 95.79 लाख टन (2013-14) से बढ़कर 195 लाख टन (2025-26) के रिकॉर्ड पर आ गया है. जबकि इस वित्त वर्ष में अभी चार महीने बाकी हैं. इस दौरान मछली उत्पादन में 100 लाख टन की बढ़ोतरी हुई है. फिशरीज डिपार्टमेंट का कहना है कि साल 2026-27 में सालाना मछली उत्पादन 220 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है.
साल 2013-14 के बाद से भारत का सीफूड एक्सपोर्ट दोगुना हो गया है. 2013-14 में जहां सीफूड एक्सपोर्ट का बाजार 30 हजार, 213 करोड़ रुपये था, वहीं यह वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान बढ़कर 65 हजार करोड़ रुपये हो गया है. हालांकि वर्ल्ड लेवल पर कोराना और दूसरी महामारी के चलते बाजार में आई परेशानियों के बाद भी 112 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई हुई है. आज भारतीय सीफूड दुनिया के 129 देशों में निर्यात किया जाता है. जिसमें सबसे बड़ा खरीदार यूएसए और चीन हैं. बढ़ते उत्पादन को देखते हुए और दूसरे देशों के सीफूड बाजारों को भी खंगाला जा रहा है.
मंत्रालय की ओर से जारी की गई रिपोर्ट की मानें तो सूखी मछली का एक्सपोर्ट डबल से ज्यादा बढ़ा है. खासतौर पर कोरोना के बाद सूखी मछली का कारोबार बढ़ गया है. साल 2021-22 में 5503 करोड़ रुपये की सूखी मछली एक्सपोर्ट की गई थी. वहीं अब इसमे 60 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है. सीफूड इंडस्ट्री के लिए ये एक बड़ी खुशखबरी है. इसके चलते अब ज्यादा से ज्या़दा लोग महंगी कीमत पर कोल्ड में मछली को रखने के बजाए कम लागत पर उसे सुखाकर बेचना पसंद करेंगे.
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