World Fisheries Day: इस योजना ने किया कमाल, 11 साल में 100 लाख टन बढ़ा मछली उत्पादन 

World Fisheries Day: इस योजना ने किया कमाल, 11 साल में 100 लाख टन बढ़ा मछली उत्पादन 

भारत का सीफूड एक्सपोर्ट 65 हजार करोड़ रुपये का है. मछली पालन में दुनिया में हम चीन के बाद दूसरे नंबर पर हैं. भारत के झींगा को दुनियाभर में पसंद किया जाता है. चीन, अमेरिका और यूरोप हमारे झींगा के सबसे बड़े खरीदार हैं. भारत में सीफूड की बहुत संभावनाएं हैं इसी को देखते हुए देश में पहली बार वर्ल्ड सीफूड कांग्रेस 2026 का आयोजन होने जा रहा है. 

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नासि‍र हुसैन
  • Delhi,
  • Nov 20, 2025,
  • Updated Nov 20, 2025, 5:25 PM IST

मछली पकड़ने के लिए गहरे समुद्र में जाने पर मछुआरे अब फंसते नहीं हैं. किसी भी तरह का खतरा होने पर टू वे कम्यूनिकेशन सिस्टम की मदद लेते हैं. पकड़ने के बाद किनारे तक आते-आते मछलियां अब खराब भी नहीं होती हैं. मछलियां पकड़ने वाली बोट भी हाईटेक बनाई गई हैं. समुद्र से किनारे तक मछली लाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो सके इसका ट्रॉयल चल रहा है. तालाब में पाली जाने वाली मछलियों की बीमारियों को अब वक्त से पहले समझ लिया जाता है. तालाब से दूर बैठकर पानी और ऑक्सीजन की जांच होती रहती है. यही वजह है कि बीते 11 साल में 100 टन मछली उत्पादन बढ़ गया है. और ये सब मुमकिन हुआ है एक योजना से. अगर योजना जमीनी परेशानी से जुड़ी हो तो फिर उसका कामयाब होना तय माना जाता है. 

ऐसा ही कुछ किया है प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) ने. मछली पालन और मछली पकड़ने से जुड़ी देश की अब तक की ये सबसे बड़ी योजना मानी जाती है. इसका बजट कुल बजट 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का था. इस योजना की कामयाबी को देखते हुए इसी की एक उपयोजना शुरू की गई है. ये इस योजना की बदौलत ही है कि अब मछुआरों के मछली पकड़ने वाले जाल का भी बीमा होता है. पैसे की कमी न हो इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाते हैं. 

95 लाख से 195 लाख टन पर पहुंचा मछली उत्पादन

साल 1950 से लेकर 2025-26 में मछली उत्पादन में करीब 25 गुना से भी ज्या‍दा की बढ़ोतरी हुई है. सिर्फ 11 साल में भारत का सालाना मछली उत्पादन 95.79 लाख टन (2013-14) से बढ़कर 195 लाख टन (2025-26) के रिकॉर्ड पर आ गया है. जबकि इस वित्त वर्ष में अभी चार महीने बाकी हैं. इस दौरान मछली उत्पादन में 100 लाख टन की बढ़ोतरी हुई है. फिशरीज डिपार्टमेंट का कहना है कि साल 2026-27 में सालाना मछली उत्पादन 220 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है. 

सीफूड एक्सपोर्ट ने भी लगाई ऊंची छलांग 

साल 2013-14 के बाद से भारत का सीफूड एक्सपोर्ट दोगुना हो गया है. 2013-14 में जहां सीफूड एक्सपोर्ट का बाजार 30 हजार, 213 करोड़ रुपये था, वहीं यह वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान बढ़कर 65 हजार करोड़ रुपये हो गया है. हालांकि वर्ल्ड लेवल पर कोराना और दूसरी महामारी के चलते बाजार में आई परेशानियों के बाद भी 112 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई हुई है. आज भारतीय सीफूड दुनिया के 129 देशों में निर्यात किया जाता है. जिसमें सबसे बड़ा खरीदार यूएसए और चीन हैं. बढ़ते उत्पादन को देखते हुए और दूसरे देशों के सीफूड बाजारों को भी खंगाला जा रहा है. 

विदेशों में खूब पसंद की जा रही है सूखी मछली 

मंत्रालय की ओर से जारी की गई रिपोर्ट की मानें तो सूखी मछली का एक्सपोर्ट डबल से ज्यादा बढ़ा है. खासतौर पर कोरोना के बाद सूखी मछली का कारोबार बढ़ गया है. साल 2021-22 में 5503 करोड़ रुपये की सूखी मछली एक्सपोर्ट की गई थी. वहीं अब इसमे 60 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है. सीफूड इंडस्ट्री के लिए ये एक बड़ी खुशखबरी है. इसके चलते अब ज्यादा से ज्या़दा लोग महंगी कीमत पर कोल्ड में मछली को रखने के बजाए कम लागत पर उसे सुखाकर बेचना पसंद करेंगे. 

देश के फिशरीज सेक्टर पर एक नजर- 

  1. इनलैंड यानि जमीन पर तालाब और नदी समेत दूसरे तरीके से किए जा रहे मछली उत्पादन में 142 फीसद का उछाल आया है. साल 2013-14 में इनलैंड मछली उत्पादन 61.36 लाख टन था, जो साल 2025-26 में 147 लाख टन पर पहुंच गया है. 
  2. झींगा एक्सपोर्ट साल 2013-14 में 19368 करोड़ रुपये का हुआ था. जबकि साल 2024-25 में 45 हजार करोड़ रुपये का हुआ है. 
  3. 4906 करोड़ रुपये से फिशिंग हॉर्बर और 182 करोड़ रुपये से फिश लैंडिंग सेंटर बनाए गए हैं. कुल 7522 करोड़ रुपये फिशरीज एंड एक्वाक्च्र इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट पर खर्च किए गए हैं.
  4. देश की सबसे बड़ी मछली योजना 20050 हजार करोड़ रुपये की पीएम मत्स्य संपदा योजना है.

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