Paddy Procurement: बाढ़ के बाद पंजाब के धान किसानों की नई आफत, मंडियों में आवक में गिरावट 

Paddy Procurement: बाढ़ के बाद पंजाब के धान किसानों की नई आफत, मंडियों में आवक में गिरावट 

पंजाब के कुछ जिलों की मंडियों में धान की आवक इस साल 25 फीसदी तक घटी है. फॉल्स स्मट (झूठी झोंझ), ड्वॉर्फ वायरस, बाढ़ और नमी जैसी समस्याओं से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. सरकारी खरीद नियम और नमी की सख्त शर्तें किसानों की मुश्किलें और बढ़ा रही हैं.

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 Paddy Procurement: बाढ़ के बाद पंजाब के धान किसानों की नई आफत, मंडियों में आवक में गिरावट Punjab Farmers: बाढ़ के बाद किसानों के सामने नई मुसीबत

हरियाणा के साथ ही साथ पंजाब में भी धान की खरीद शुरू हो गई है. बाढ़ के बाद किसान बड़ी उम्‍मीद से मंडियों की तरफ जा रहे हैं. लेकिन अब एक नई चुनौती ने उन्‍हें परेशान कर दिया है. पंजाब के पटियाला जिले में धान की शुरुआती आवक पिछले साल की तुलना में करीब 25 प्रतिशत कम रही है. वजह है फॉल्स स्मट की चपेट में फसल का आना. जिले में करीब 12,000 हेक्टेयर फसल इस रोग के प्रकोप का शिकार हो गई है जबकि बाढ़ ने जिले के 140 गांवों में फैले 17,690 हेक्टेयर क्षेत्र को प्रभावित किया है.

बीमारी से हुआ किसानों को नुकसान 

अखबार ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के अनुसार ज्‍यादा नमी की मात्रा ने किसानों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है. बौना यानी ड्वॉर्फ वायरस ने भी करीब 12,000 एकड़ क्षेत्र को प्रभावित किया है. पटियाला के मुख्य कृषि अधिकारी जसविंदर सिंह ने बताया कि ड्वॉर्फ वायरस ने पंजाब और हरियाणा में बड़े स्‍तर पर नुकसान पहुंचाया है. पटियाला आढ़तिया एसोसिएशन के चेयरमैन, पवन कुमार सिंगला ने कहा, 'एक किसान जिसने पिछले साल 100 क्विंटल धान बेचा था, वह इस साल केवल करीब 75 क्विंटल ही ला पा रहा है.' 

सरकार बदले कुछ नियम 

ऑल इंडिया राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम लाल ने कहा कि केंद्रीय खरीद एजेंसियों ने 17 प्रतिशत से अधिक नमी वाली धान की खरीद पर रोक लगा दी है. साथ ही बदरंग दाने को लेकर भी कड़े मानक तय किए हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल आवक धीमी है, लेकिन जैसे ही खरीद शुरू होगी, नमी और बदरंग धान की समस्या सामने आना तय है. सरकार को चाहिए कि इस अव्यवस्था से बचने के लिए केंद्रीय एजेंसियों से बातचीत शुरू करे.  किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार को नियमों में ढील देकर 21 प्रतिशत तक नमी वाली धान की खरीद की अनुमति देनी चाहिए.

बड़ी चुनौती बना फॉल्‍स स्‍मट 

प्रगतिशील किसान परगट सिंह ने बताया कि इस साल पंजाब और हरियाणा में फॉल्स स्मट एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर यह बीमारी मौसम, फसल की किस्म और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हुए 3 से 70 प्रतिशत तक पैदावार का नुकसान कर सकती है. यह दानों का वजन और अंकुरण क्षमता दोनों घटा देती है. उन्होंने इसके फैलाव का कारण लंबे समय तक बनी रही नमी (करीब 70 प्रतिशत), 30-35 डिग्री सेल्सियस तापमान, जलभराव, नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग, कीटनाशकों का देर से या कम गुणवत्ता में छिड़काव और खरपतवार में फंगस के जीवित रहने की क्षमता को बताया.

इसे रोकना क्‍यों है मुश्किल 

परगट सिंह ने कहा, 'फॉल्स स्मट को नियंत्रित करना कठिन है क्योंकि इसके लक्षण देर से दिखाई देते हैं. प्रभावी प्रबंधन के लिए समग्र उपाय जरूरी हैं, जैसे रोगमुक्त बीज, रोग-प्रतिरोधक किस्में, संतुलित नाइट्रोजन का प्रयोग और समय पर फफूंदनाशक का छिड़काव.' परगट ने 'बीज से, बीज का सफर' नामक एक किताब लिखी है. उनका मानना है कि यही उपाय इस रोग से निपटने के लिए सबसे कारगर हो सकते हैं. 

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