Sex Sorted Semen दूध उत्पादन बढ़ाने और पशुओं की नस्ल सुधार के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है. केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार के रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक को बताया कि सेक्स सॉर्टेड सीमन का इस्तेमाल होने से सिर्फ बछिया (फीमेल) ही पैदा होती हैं. इसके चलते दूध देने वाले पशुओं की संख्या बढ़ जाती है. लेकिन इसकी स्ट्रॉ बाजार में महंगी आती है. लेकिन नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) एक खास टेक्नोलॉजी की मदद से कम कीमत में सेक्स सॉर्टेड सीमन की स्ट्रॉ लेकर आ रहा है.
क्या हैं सेक्स सॉर्टेड सीमन टेक्नोलॉजी?
- सेक्स सॉर्टेड सीमन का इस्तेमाल करने से 90 फीसद बछिया पैदा होती हैं.
- देश में इसका इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन नंबर बहुत कम है.
- सेक्स सॉर्टेड सीमन महंगा होने की वजह से इस्तेमाल कम हो रहा है.
- पशुओं की हीट का सही वक्त पर पता न चलने से कई बार स्ट्रॉ काम नहीं करती है.
- साल 2019-20 में सेक्स सॉर्टड सीमन तकनीक की देश में शुरुआत हुई है.
सेक्स सॉर्टड सीमन सस्ता करने का क्या है प्लान?
- अभी यूएस की दो कंपनियां सेक्स सॉर्टड सीमन में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी (मशीन) बना रही हैं.
- कीमत के मामले में विदेशी कंपनी की ये मशीन बहुत महंगी हैं.
- एनडीडीबी अपने चार सीमन स्टेशन के लिए ये मशीन खरीद रही है.
- खरीदी गईं मशीन से चार स्टेशन पर सेक्स सॉर्टड सीमन की स्ट्रा तैयार की जाएंगी.
- एनडीडीबी इसकी कीमत 300 से 500 रुपये के बीच करने की कोशिश कर रही है.
कितनी कामयाब है सेक्स सॉर्टेड सीमन?
- साल 2019-20 से 2023-24 तक सेक्स सॉर्टेड सीमन की 89 लाख डोज तैयार हो चुकी हैं.
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ये अभियान चल रहा है.
- सेक्स सॉर्टेड सीमन की डोज 90 फीसद केस में कामयाबी मानी गई है.
- आंकड़ों के मुताबिक अब तक करीब 72 लाख बछिया पैदा हो चुकी हैं.
- अभी सरकार इसकी एक डोज पर 50 फीसद की सब्सिडी दी जाती है.
- पशुपालक को 50 फीसद सब्सिडी या गर्भधारण सुनिचिश्त होने पर 750 रुपये दिए जाते हैं.
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