Cage Farming जरूरी नहीं कि तालाब बनाकर ही मछली पालन किया जाए. अगर आपके गांव या शहर के आसपास कहीं भी जलाशय है तो आप वहां कम लागत में मछली पालन कर सकते हैं. मत्स्य निदेशालय, रांची, झारखंड (Jharkhand) में फिश ट्रेनिंग सेंटर के चीफ इंस्ट्रक्टर प्रशांत कुमार दीपक ने किसान तक (Kisan Tak) को बताया कि केज तकनीक का इस्तेमाल कर किसी भी जलाशय में मछली पालन किया जा सकता है. और खास बात ये है कि इसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत केन्द्र सरकार मदद करती है. राज्य सरकारें भी वित्तीय मदद करती हैं. और सबसे बड़ी बात ये है कि इसके चलते डैम, कोल और स्टोन पिट्स का इस्तेमाल भी हो जाता है.
देश के कितने राज्यों में जलाशय हैं?
- झारखंड 115,514
- मध्य प्रदेश 601,604
- कर्नाटक 485,662
- राजस्थान 400,298
- गुजरात 347,875
- उत्तर प्रदेश 334,840
- महाराष्ट्र 229,591
- ओडिशा 200,379
- तेलंगाना 191,000
- तमिलनाडु 127,952
नोट- आंकड़े हेक्टेयर में हैं.
केज तकनीक मछली पालन के क्या फायदे हैं?
- केज में गहन पालन, उच्च स्टॉकिंग घनत्व और मछलियों को अनुकूलित आहार प्राप्त होता है.
- एक केज से सालाना तीन से चार टन तक मछली उत्पादन होता है.
- केज तकनीक से जलाशयों का अच्छी और पूरी तरह से इस्तेमाल हो जाता है.
- केज तकनीक से जमीनी तालाब कम होने से पर्यावरण संतुलन बना रहता है.
- केज में खासतौर से पंगेसियस, तिलापिया और भारतीय मेजर कार्प जैसी उच्च-मूल्यवान प्रजातियों की खेती की जा सकती है, जिससे अच्छी इनकम होती है.
- केज से मछली पालन, फीड सप्लाई, जाल निर्माण, रखरखाव, कटाई और मार्केटिंग नौकरी पैदा होती है.
- केज का इस्तेमाल बीज उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है.
- केज को जरूरत और सुविधा के हिसाब से ट्रांसफर भी किया जा सकता है.
- केज तकनीक से उत्पादन बढ़ता है और वैराइटी भी बढ़ जाती हैं.
- केज तकनीक स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों के रूप में मछली पालन को बढ़ावा देती है.
केज तकनीक से मछली पालन के क्या नुकसान हैं?
- ज्यादा फीड देने और खराब वेस्ट मैनेजमेंट से जल प्रदूषण का खतरा बना रहता है.
- केज में उच्च घनत्व वाले स्टॉकिंग से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे बायो सिक्योरिटी की जरूरत पड़ने लगती है.
- पानी का उतार-चढ़ाव, जलाशय की बदलती गहराई और पिंजरे की बदलती स्थिति मछलियों को बीमार करने के साथ उनके व्यवहार को प्रभावित कर सकती है.
ये भी पढ़ें- Breed Production: OPU-IVF से मां बनेंगी सड़क-खेतों में घूमने वाली छुट्टा गाय, हर गाय आएगी काम
ये भी पढ़ें- Egg Production: पोल्ट्री फार्म में कैसे बढ़ेगा अंडा उत्पादन, पढ़ें पोल्ट्री एक्सपर्ट के 10 टिप्स