Poultry Waste Management पोल्ट्री फार्म में जितनी बीमारियां बाहर से आती हैं तो उससे कहीं ज्यादा फार्म के अंदर ही पनपती हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट और वेटरिनेरियन डॉ. इब्ने अली ने किसान तक को बताया कि फार्म के अंदर बहुत सारी ऐसी चीज होती हैं जो बीमारियों को पनपने में मदद करती हैं. जैसे फार्म के अंदर मुर्गियों की बीट, मरी हुई मुर्गियां, वेस्ट चारा और पानी बीमारियां फैलने की बड़ी वजह हैं. लेकिन 99 फीसद बीमारियों को खाद और वेस्ट मैनेजमेंट अपनाकर कंट्रोल किया जा सकता है. इसका फायदा ये भी होगा कि मुर्गियों की हैल्थ पर होने वाले खर्च के साथ-साथ बायो सिक्योरिटी के खर्चों को भी कम किया जा सकता है.
पोल्ट्री फार्म में खाद कितनी तरह की होती है?
पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों की बीट के अलावा मरी हुई मुर्गियां, लकड़ी का बुरादा या मूंगफली के छिलके जो जमीन पर बिछाए जाते हैं. खराब, गीला और बचा हुआ फीड जिससे खिला नहीं सकते हैं. मुर्गी के दड़बे में लगे उपकरणों से बचा पानी, फुटबाथ का हर रोज बदला जाने वाला पानी.
पोल्ट्री फार्म में वेस्ट मैनेजमेंट क्यों जरूरी है?
- पोल्ट्री फार्म में पक्षियों और स्टाफ में बीमारियों को रोकता है.
- मच्छर और मक्खिेयों को फैलने से रोकता है.
- फार्म के आसपास की वॉटर बॉडी दूषित नहीं होती हैं.
- पोल्ट्री फार्म में साफ-सफाई रहने से मुर्गियां खुश रहती हैं.
- वेस्ट मैनेजमेंट के चलते अच्छी और प्योर खाद मिल जाती है.
पोल्ट्री फार्म में खाद और वेस्ट मैनेजमेंट कैसे करें?
- फार्म से निकले कूड़े को सूखा रखने और अमोनिया का जमाव कम करने के लिए हर रोज जलाएं.
- मुर्गियों के बिछावन में गीले धब्बों को हटाकर सूखे बिस्तर से बदल दें.
- इस्तेमाल किया हुआ कूड़ा फार्म से हटा दें और अच्छी तरह से साफ कर दें.
- नई पोल्ट्री बर्ड लाने से पहले फार्म को कीटाणुरहित कर लें.
- खाद और वेस्ट को फार्म से दूर ढककर स्टोर करें.
- जल प्रदूषण से बचने के लिए फार्म ऊंचे चबूतरे या कंक्रीट के फर्श पर बनाएं.
- जहां पानी जमा हो या स्टोर किया जाता है वहां गोबर जमा न करें.
- फार्म से निकली खाद को इस्तेमाल करने के साथ ही बेचा भी जा सकता है.
- सब्जियों या खाद्य फसलों पर सीधे फार्म से निकली ताजा खाद का इस्तेमाल न करें.
फार्म में मरने वाली मुर्गियों का निपटान कैसे करें?
- बीमारी या किसी भी वजह से मरी हुई मुर्गियों को तुरंत हटा दें.
- मरी हुई मुर्गियों को फार्म से दूर जमीन में गहरा गड्ढा कर दबा दें.
- मरी हुई मुर्गियों को जलाना मुमकिन हो तो जला दें.
- मरी हुई मुर्गियों को कभी भी खुले मैदान या तालाब-नदी में न फेंके.
- मरी हुई मुर्गियों के निपटान में इस्तेमाल होने वाले उपकरण कीटाणुरहित कर लें.
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