मछली उत्पादन को महाराष्ट्र सरकार दे रही बढ़ावा, राज्य मंत्री ने दाना खरीद के बनाए नए नियम

मछली उत्पादन को महाराष्ट्र सरकार दे रही बढ़ावा, राज्य मंत्री ने दाना खरीद के बनाए नए नियम

महाराष्ट्र के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री ने कहा कि वर्तमान में अधिकांश मछलियों का दाना आयात किया जाता है. स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा देने और सख्त क्वालिटी नियंत्रण तय करने के लिए मत्स्य पालन विभाग ने खरीद दिशानिर्देशों का एक नया सेट लागू करने का निर्णय लिया है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 26, 2025,
  • Updated Jul 26, 2025, 4:56 PM IST

महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम उठाया है. मछली पालन के क्षेत्र में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने और अच्छी क्वालिटी के लिए सरकार ने मछली के फीड यानी दाना खरीद को लेकर एक नए दिशानिर्देशों की घोषणा की है. इसकी जानकारी राज्य मंत्री नितेश राणे ने शुक्रवार को दी. मीडिया को संबोधित करते हुए  नितेश राणे ने कहा कि नए निर्देश मछली पालन परियोजनाओं को और अधिक कुशल और आत्मनिर्भर बनाएंगे और साथ ही स्थानीय मछलियों के दाना बनाने वाले निर्माताओं को प्रोत्साहित करेंगे.

स्थानीय उत्पादकों को मिलेगा बढ़ावा

राज्य के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री ने कहा कि वर्तमान में अधिकांश मछलियों का दाना आयात किया जाता है. स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा देने और सख्त क्वालिटी नियंत्रण तय करने के लिए मत्स्य पालन विभाग ने खरीद दिशानिर्देशों का एक नया सेट लागू करने का निर्णय लिया है. उन्होंने बताया कि नए नियमों के तहत, महाराष्ट्र में सभी सरकारी सब्सिडी वाली मछली पालन परियोजनाओं को केवल राज्य-पंजीकृत, राज्य-प्रायोजित, या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पायलट आहार उत्पादकों से ही आहार खरीदना जरूरी होगा.

अच्छे क्वालिटी वाले दानों की जरुरत

राणे ने कहा कि राज्य ने केंद्रीय और राज्य वित्तीय सहायता के तहत अलग-अलग मछली पालन पहल शुरू की हैं, जिनमें मछलियों के बीज उत्पादन और संरक्षण केंद्र, केज कल्चर, बायोफ्लोक सिस्टम, आरएएस (रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम) और नर्सरी तालाब शामिल हैं. इन परियोजनाओं को पूरी क्षमता से चलाने के लिए उच्च क्वालिटी वाले मछलियों के दाने की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती है.

नए नियमों में क्या हुआ है बदलाव?

नए मानदंडों के अनुसार, मछलियों के दानों को भारतीय नियामक संस्थाओं जैसे आईएसआई, बीआईएस या एफएसएसएआई द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए. पैकेजिंग पर प्रोटीन, वसा, नमी और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषण मूल्यों के साथ-साथ निर्माण और समाप्ति तिथि का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए. वहीं, आपूर्तिकर्ताओं को टैक्स का चालान देना होगा और यह तय करना होगा कि मछलियों का खाना स्वच्छ और सूखे परिवहन वाहनों के माध्यम से वायुरोधी, स्वच्छ पैकेजिंग में पहुंचाया जाए.

उन्होंने कहा कि आपूर्तिकर्ताओं के लिए जीएसटी पंजीकरण अनिवार्य होगा, और चारा खरीदने वाले किसानों का रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए. मंत्री ने आगे आश्वासन दिया कि दाने की क्वालिटी के संबंध में किसानों या मछुआरों की शिकायतों का शीघ्र समाधान किया जाएगा और टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल मछलियों का आहार के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा.

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