Goat Farming: एक साल में पांच किलो मीथेन गैस छोड़ती है बकरी, जानें कैसे की जा रही है कंट्रोल

Goat Farming: एक साल में पांच किलो मीथेन गैस छोड़ती है बकरी, जानें कैसे की जा रही है कंट्रोल

राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर जुगाली करने वाले पशुओं में मीथेन गैस को कंट्रोल और खत्म करने की तैयारी चल रही है. बकरियों के संबंध में इसे कंट्रोल करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में भी लगातार रिसर्च चल रही है.

बकरी की जुगाली से निकलने वाली मीथेन गैस को ऐसे जमा किया जाता है. फोटो क्रेडिट-किसान तकबकरी की जुगाली से निकलने वाली मीथेन गैस को ऐसे जमा किया जाता है. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Oct 25, 2023,
  • Updated Oct 25, 2023, 12:12 PM IST

ग्लोबल वार्मिंग के लिए मीथेन गैस को भी बड़े रूप में जिम्मेदार माना जाता है. एक्सपर्ट की मानें तो जुगाली करने वाले पशु जैसे गाय-भैंस और भेड़-बकरी भी मीथेन गैस छोड़ते हैं. मीथेन गैस छोड़ने के मामले में बकरी तीसरे नंबर पर है. यही वजह है कि इसे कंट्रोल करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में लगातार रिसर्च चल रही है. अच्छी बात ये है कि एक खास तरह का चारा तैयार कर इस रिसर्च में काफी हद तक कामयाबी भी मिली है. 

सीआईआरजी के साइंटिस्ट की मानें तो चारे के क्षेत्र में लगातार कामयाबी मिल रही है. इसी के चलते पैलेट फीड और फोडर तैयार किया गया है. बकरियों से निकलने वाली मीथेन को और कंट्रोल करने के लिए अभी और दूसरे क्षेत्रों में भी सीआईआरजी लगातार काम कर रहा है.

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ऐसे कंट्रोल की जा रही है बकरी की मीथेन गैस 

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. रविन्द्र  कुमार ने किसान तक को बताया कि मीथेन गैस छोड़ने के मामले में पहला और दूसरा नंबर भैंस और गाय का है. बकरी इस मामले में तीसरे नंबर पर है. बेशक बकरी गाय-भैंस के मुकाबले कम मीथेन गैस छोड़ती है, लेकिन गाय-भैंस के अनुपात में बकरियों की संख्या ज्यादा है. इसलिए बकरियों के संबंध में काम भी ज्यादा और तेजी के साथ हो रहा है.

हम एक खास तरह के उपकरण की मदद से बकरी से निकलने वाली मीथेन गैस को जमा करते हैं. उसकी नापतौल करते हैं. इसके आधार पर ही बकरियों के लिए खास तरह का हरा चारा और पैलेट फीड तैयार किया जा रहा है. गौरतलब रहे पशु जनगणना 2019 के मुताबिक हमारे देश में बकरे-बकरियों की कुल संख्याब 14.90 करोड़ है. 

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तैयार किया जा रहा है खास तरह का हरा चारा

सीआईआरजी से जुड़े जानकारों की मानें तो बहुत सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए बकरियों के लिए हरा चारा तैयार किया जा रहा है. सीआईआरजी में ट्रेनिंग के लिए आने वाले युवाओं को ऑर्गनिक और नेचुरल तरीके से चारा उगाने के बारे में भी बताया जाता है. ऑर्गनिक और नेचुरल तरीके से उगाए जा रहे चारे के लिए खाद कैसे तैयार करनी है ये जानकारी भी ट्रेनिंग लेने के लिए आने वाले युवाओं को दी जाती है. साथ ही हरे चारे का इस्तेमाल करते हुए साइलेज और पैलेट्स बनाने के बारे में भी बताया जाता है. 

 

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