Goat Lamb: मृत्यु दर कम करनी है तो जन्म के साथ ही ऐसे करें बकरी के बच्चों की देखभाल

Goat Lamb: मृत्यु दर कम करनी है तो जन्म के साथ ही ऐसे करें बकरी के बच्चों की देखभाल

बकरी पालन मीट और दूध दोनों के लिए किया जाता है. लेकिन दोनों में ही मुनाफे के लिए ये जरूरी है कि बकरी साल में दो बार जो दो-दो बच्चे देती है वो जिंदा रहें. क्योंकि मीट के लिए छह-छह महीने की उम्र वाले बच्चों के अच्छे दाम मिलना शुरू हो जाते हैं.

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 14, 2025,
  • Updated Mar 14, 2025, 2:24 PM IST

बकरी पालन दूध कम मीट के लिए ज्यादा किया जाता है. बाजार में आज भी दूध से ज्यादा मीट की डिमांड होती है. बकरी पालन में मुनाफा भी मीट के लिए बिकने वाले बकरों से ही होता है. इसलिए ये बहुत जरूरी हो जाता है कि बकरी जो बच्चे दे वो जिंदा रहें. क्योंकि इन्हीं बच्चों को बड़ा कर बेच दिया जाता है. लेकिन बच्चा होने के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही के चलते बकरी पालन में मृत्यु दर बढ़ जाती है. बच्चों की सबसे ज्यादा मौत निमोनिया से होती है. 

परेशान करने वाली बात ये है कि गर्मियों में भी बकरी के बच्चों को निमोनिया हो जाता है. वहीं गोट एक्सपर्ट का कहना है कि अगर एक्सपर्ट के बताए टिप्स का पालन किए जाए तो बकरी पालन में मृत्यु दर को कंट्रोल करने के साथ ही खत्म भी किया जा सकता है. बहुत छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर जन्म लेने वाले बच्चों की मृत्यु दर को रोका जा सकता है. 

बकरी के बच्चा देते ही ऐसे शुरू कर दें देखभाल

  • बच्चे के पैदा होते ही उसे मां का दूध पिलाएं.
  • बच्चे के वजन के हिसाब से ही उसे दूध पिलाएं. 
  • वजन एक किलो हो तो 100-125 ग्राम दूध पिलाएं. 
  • बच्चे को दिनभर में तीन से चार बार में दूध पिलाएं. 
  • दूध पिलाने के लिए बकरी की जैर गिरने का इंतजार ना करें.
  • बच्चा 18 से 20 दिन का हो तो चारे की कोपल खि‍लाएं. 
  • बच्चा एक महीने का हो जाए तो पिसा हुआ दाना खि‍लाएं. 

बच्चे की देखभाल में इन बातों का भी रखें ख्याल 

अगर आप साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन कर रहे हैं तो फिर बकरी अपने शेड में अक्टूबर-नवंबर में बच्चा देगी या फिर मार्च-अप्रैल में. ये मौसम का वो वक्त है जब ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही ज्यादा सर्दी. बावजूद इसके बकरी के बच्चे को उचित देखभाल की जरूरत होती है. बच्चे को मौसम से बचाने के लिए जरूरी उपाय पहले से ही कर लें. 

  1. जमीन पर बिछावन के लिए पुआल का इस्तेमाल करें.
  2. तीन महीने का होने पर बच्चे का टीकाकरण शुरू करा दें.
  3. डॉक्टर की सलाह पर पेट के कीड़ों की दवाई दें.
  4. जन्म से एक-डेढ़ महीने पहले बकरी की खुराक बढ़ा दें. 
  5. बकरी को भरपूर मात्रा में हरा, सूखा चारा और दाना खाने को दें.

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