बकरी पालन दूध कम मीट के लिए ज्यादा किया जाता है. बाजार में आज भी दूध से ज्यादा मीट की डिमांड होती है. बकरी पालन में मुनाफा भी मीट के लिए बिकने वाले बकरों से ही होता है. इसलिए ये बहुत जरूरी हो जाता है कि बकरी जो बच्चे दे वो जिंदा रहें. क्योंकि इन्हीं बच्चों को बड़ा कर बेच दिया जाता है. लेकिन बच्चा होने के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही के चलते बकरी पालन में मृत्यु दर बढ़ जाती है. बच्चों की सबसे ज्यादा मौत निमोनिया से होती है.
परेशान करने वाली बात ये है कि गर्मियों में भी बकरी के बच्चों को निमोनिया हो जाता है. वहीं गोट एक्सपर्ट का कहना है कि अगर एक्सपर्ट के बताए टिप्स का पालन किए जाए तो बकरी पालन में मृत्यु दर को कंट्रोल करने के साथ ही खत्म भी किया जा सकता है. बहुत छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर जन्म लेने वाले बच्चों की मृत्यु दर को रोका जा सकता है.
अगर आप साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन कर रहे हैं तो फिर बकरी अपने शेड में अक्टूबर-नवंबर में बच्चा देगी या फिर मार्च-अप्रैल में. ये मौसम का वो वक्त है जब ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही ज्यादा सर्दी. बावजूद इसके बकरी के बच्चे को उचित देखभाल की जरूरत होती है. बच्चे को मौसम से बचाने के लिए जरूरी उपाय पहले से ही कर लें.
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