Bull: भैंस गर्भवती कराने के लिए होती है पीटी बुल की तलाश, लाखों के बीच होता है एक, पढ़ें डिटेल

Bull: भैंस गर्भवती कराने के लिए होती है पीटी बुल की तलाश, लाखों के बीच होता है एक, पढ़ें डिटेल

पशुपालक छोटा हो या बड़ा, सबकी एक ही चाहत होती है कि उसकी गाय-भैंस ज्यादा से ज्यादा दूध दे. गाय-भैंस बीमार कम पड़े और सबसे बड़ी बात ये कि वो हर साल बच्चा दे. जिससे पशुओं की संख्या भी बढ़े और दूध भी लगातार मिलता रहे. और ऐसा होने से जहां पशुपालन पर लागत कम आती है वहीं मुनाफा भरपूर होता है. और ऐसा होता तभी है जब भैंस को गाभि‍न करने वाला पीटी बुल हो. 

सर्दी में गाय-भैंस की ऐसे करें देखभाल. (फाइल फोटो)सर्दी में गाय-भैंस की ऐसे करें देखभाल. (फाइल फोटो)
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Nov 14, 2024,
  • Updated Nov 14, 2024, 10:55 AM IST

भैंस के हीट में आने से पहले ही पशुपालक प्रोजेनी टेस्टिंग (पीटी) बुल की तलाश शुरू कर देते हैं. छोटे से लेकर बड़ा पशुपालक तक कुछ ज्यादा पैसे खर्च कर पीटी बुल से ही भैंस को गाभि‍न कराना चाहता है. ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए उसकी चाहत होती है कि उसकी भैंस पीटी बुल से ही गर्भवती हो. लेकिन पीटी बुल की तलाश इतनी आसान नहीं होती है. जरूरी नहीं है कि हर शहर में पीटी बुल मिल ही जाए. कई बार तो आसपास के दो-तीन शहर छोड़कर पीटी बुल की तलाश पूरी होती है. अगर एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो लाखों बुल के बीच एक-दो पीटी बुल होते हैं. 

आठ से दस साल में जाकर पीटी बुल तैयार होता है. पीटी बुल का तमगा भी ऐसे ही नहीं मिलता है. 15-20 बुल के बीच हुए कंप्टीशन से निकलकर ही पीटी बुल बनता है. अब आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) भी होते हैं तो पीटी बुल के वीर्य की स्टॉ लेने के लिए भी पशुपालक अच्छी खासी रकम खर्च करने को तैयार रहते हैं. केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB), हिसार, हरियाणा के पास ए ग्रेड के दो पीटी बुल एम-29 और 4354 हैं. 

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पीटी बुल में होनी चाहिए ये तीन क्वालिटी

केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB), हिसार, हरियाणा के रिटायर्ड साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक को बताया कि देश में गाय-भैंस को लेकर नस्ल सुधार कार्यक्रम चल रहा है. इसलिए ये जरूरी है कि जब गाय-भैंस को गाभि‍न कराया जाए तो सिर्फ पीटी बुल का ही इस्तेमाल किया जाए. अगर आसपास पीटी बुल नहीं है तो उसके वीर्य की स्टॉ लाकर एआई की मदद से भी गाय-भैंस को गाभि‍न कराया जा सकता है. एक पीटी बुल में तीन खास बातें जरूर होनी चाहिए. एक तो ये कि उसकी बेटियां ज्यादा दूध देने वाली हों. हर साल वक्त से गाभि‍न होकर बच्चा दे रही हों. तीसरा ये कि उन्हें कोई अनुवांशि‍क बीमारियां ना हों. 

80 से 100 भैंसों की जांच के बाद बनता है पीटी बुल 

डॉ. सज्जन सिंह ने बताया कि एक सामान्य बुल को पीटी बुल बनाने के लिए खानपान के साथ और भी बहुत सारे काम किए जाते हैं. जैसे उस बुल से पैदा होने वालीं 80 से 100 भैंसों का दूध उत्पादन देखा जाता है. साथ ही वो बच्चा किस दर (रिप्रोडक्शन रेट) से दे रही है ये जांच भी की जाती है. लगातार बुल की टेस्टिंग की जाती है. और अच्छे पीटी बुल तैयार करने के लिए उन्हीं की बेटियों से पैदा होने वाले मेल बछड़ों को ही आगे के लिए तैयार किया जाता है. डेयरी फार्म में पीटी बुल रखकर भी कमाई की जा सकती है. आज पीटी बुल के वीर्य की एक स्ट्रॉ 800 से एक हजार रुपये तक की मिलती है.

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क्वालिटी का वीर्य चाहिए तो ऐसे करें बुल की देखभाल

  • बाड़े में सांड को सर्दी-गर्मी से बचाएं. 
  • प्राकृतिक गर्भाधान का स्थान बाड़े से दूर होना चाहिए.
  • सांड का बाड़ा आरामदायक और बड़ा हो जहां वो खुला भी घूम सके.
  • सांड का बाड़ा ऐसी जगह हो जहां से वो दूसरे पशुओ को भी देख सके.
  • सांड की उम्र कम से कम ढाई साल, वजन 350 किलोग्राम होना चाहिए.
  • कम उम्र के सांड को हफ्ते में दो या तीन बार ही ब्रीडिंग के लिए इस्तेमाल करें.
  • एक से दूसरी भैंस को गाभिन कराने के लिए सांड को एक दिन का आराम दें.
  • भैंस को गाभि‍न कराते वक्त सांड के साथ सख्त व्यवहार ना करें. 
  • सांड को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा कसरत करानी चाहिए. 
  • सांड की हर रोज मालिश करने के बाद उसे नहलाना चाहिए. 
  • हर छह महीने के बाद सांड के खून की जांच करानी चाहिए. 
  • सांड में ब्रुसेलोसिस समेत दूसरे यौन रोगों की जांच कराते रहें. 
  • चार्ट के मुताबिक सांड का टीकाकरण कराते रहना चाहिए. 
  • एक्सपर्ट द्वारा बताई गई डाइट ही सांड को देनी चाहिए. 
     

 

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