अभी तक देश में ऑर्गेनिक फल-सब्जी की बात हो रही थी. ऑर्गेनिक खेती पर भी जोर दिया जा रहा है. इतना ही नहीं हाल ही में खबर आई थी कि केन्द्र सरकार गाजियाबाद में संचालित एक संस्थान दूध समेत सभी डेयरी प्रोडक्ट को ऑर्गेनिक होने का प्रमाण पत्र देगा. लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा. ऐसे में अब जो खबर आ रही है वो ऑर्गेनिक मछली पालन से जुड़ी हुई है. अच्छी खबर ये है कि देश में पहली बार ऑर्गेनिक मछली पालन शुरू हो गया है. नॉर्थ-ईस्ट के सिक्कि्म में ये खास तरह का मछली शुरू हो चुका है.
हाल ही में एक कार्यक्रम के तहत केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने सिक्किम में भारत के पहले जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर की शुरुआत की है. फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि सिक्किम के सोरेंग जिले में अपनी तरह का पहला जैविक मछली क्लस्टर किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगा.
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ऑर्गेनिक मछली पालन क्लस्टर आधारित है. इसके तहत हानिकारक रसायनों, एंटीबायोटिक दवाओं और कीटनाशकों के इस्तेमाल से बचते हुए स्वस्थ मछली पालन सिस्टम पर जोर दिया जा रहा है. यह पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम करने में मददगार साबित हो रहा है. पानी के सोर्स को भी नुकसान से बचाता है. ऑर्गेनिक मछली पालन ऐसे वक्त में सामने आया है जब ऑर्गेनिक प्रोडक्ट और उनकी कीमत देश ही नहीं विदेशी बाजार में भी ग्राहकों को चौंका रही हैं. फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि सिक्किम इस बढ़ते बाजार और ऑर्गेनिक मछली और मछली प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट का फायदा उठा सकता है.
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) सिक्किम में ऑर्गेनिक मछली पालन और एक्वाकल्चर क्लस्टर तैयार करने में मदद कर रहा है. इसके साथ ही NABARD मछली पालन के बुनियादी ढांचे और क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता भी दे रहा है. वहीं राज्य में मछुआरों की सहकारी समितियों और मछली पालन आधारित किसान उत्पादक संगठनों (FFPO) के गठन के माध्यम से ऑर्गेनिक क्लस्टर के विकास में भी मदद करेगा. इस पहल से एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी में निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा. सिक्किम के ठंडे पानी के मछली पालन की ब्रांडिंग होगी, पर्यटन को आकर्षित करने के साथ-साथ स्थानीय मछुआरों और मछली किसानों को सशक्त बनाया जाएगा.
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