
Dairy Ghee Adulteration हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर में हुए लड्डू केस से जुड़ी जांच रिपोर्ट मीडिया के जरिए सामने आई हैं. कई मीडिया प्लेटफार्म ने सीबीआई और भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) की जांच के हवाले से खबरें छापी हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जांच में ये साबित हो चुका है कि लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट की गई थी. ऐसे में चर्चा ये भी खूब हुई कि इससे डेयरी सेक्टर को झटका लगेगा. लेकिन इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है, ‘लड्डू की घटना से डेयरी सेक्टर को नुकसान नहीं उल्टे बड़ा फायदा होगा.
इस घटना के बाद से कम से कम महंगे प्रोडक्ट घी-मक्खन को लेकर लेकर लोगों का यकीन ब्रांड पर बढ़ेगा. और इसका सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को मिलेगा जिन्होंने प्योर चीज बेचकर ब्रांड के लिए विश्वास कमाया है. लेकिन इस घटना के बाद से घी में मिलावट करने वालों का कारोबार कम हो जाएगा. लोग खुला घी और ऐसे ब्रांड के नाम पर कभी नहीं खरीदेंगे जिसकी कोई वैल्यू न हो.’
डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि मंदिर और गुरुद्वारें ऐसी जगह हैं जहां कई मौकों पर बड़ी मात्रा में घी की खपत होती है. और ऐसे मौकों पर घी बेचने वाले बोली में शामिल होते हैं. लेकिन लड्डू की इस घटना से अब इतनी जागरुकता आ गई है कि कोई भी छोटी-बड़ी कंपनी अब इन जगहों पर सस्ता घी नहीं बेच सकेगी. क्योंकि अब सभी को समझ में आ चुका है कि सामान्य से सामान्य घी की लागत कितनी आती है. अगर अगर कोई लागत से बहुत कम पर घी बेच रहा है तो फिर उसमे शक की गुंजाइश है.
डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि आज पशुपालक बाजार में घी बेचने के दौरान सबसे ज्यादा मुकाबला मिलावटी घी से कर रहे हैं. क्योंकि घी में मिलावट करने वाले सस्ता घी बेच रहे हैं. इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि मान लीजिए घी की लागत 550 रुपये आती है. और जो मिलावट वाला घी है वो बाजार में 345 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है. अब ऐसे में किसान को अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए उसके दाम घटाने पड़ते हैं.
घी की जांच के बारे में डॉ. आरएस सोढ़ी ने कहा कि मुझे लगता है कि अब FSSAI जैसी एजेंसी और ज्यादा अलर्ट हो जाएंगी. वो अपने फील्ड ऑफिस और सैंपल लेने वाले कर्मचारियों को सलाह देंगे कि घी जैसे प्रोडक्ट का सैंपल लेते वक्त और ज्यादा अलर्ट रहें. इतना ही नहीं मेरा मानना है कि अब FSSAI को और ज्यादा अलर्ट होते हुए घी की जांच के लिए नई तकनीक इस्तेमाल करनी चाहिए. क्योंकि होता ये है कि मिलावटखोर जांच करने के तरीकों का कोई ना कोई तोड़ निकाल लेते हैं.
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